मुहूर्त क्या है? व मुहूर्त महत्त्व क्या है?
''तिथिरेकगुणा प्रोत्ता नक्षत्रं च चतुर्गुणं ।
वरश्चाष्टगुण: प्रोत्त: करणं षोडशान्वितं ॥
चन्द्र: शतगुण: प्रोत्तस्तस्माच्चन्द्रबलं स्मृतं ।
द्वात्रिंशद्गुणितो योगस्तारा षष्टि गुणान्विता ॥''
''चंद्रबलें विहीनों न मनःपरितोषद:''
चन्द्र मन का देवता है? और उपनिषद् कहता है ''मनः वै कृष्णा'' अर्थात मन ही कृष्ण है इसलिए मुहूर्त से कार्य करने मानसिक शक्ति बढ़ती है और मित्रो. व्यक्ति पूर्ण मनोयोग वआत्मबल से कार्य कर सफल होगा। कालतत्त्व के अनुसार समय में स्वभाव से ही शुभता एवं अशुभता रहती है, ऐसा नहीँ है कि कोई समय पूर्ण शुभ व अशुभ है, वह सब समय न पूर्णरूप से दोषरहित होता है और न ही पूर्णरूप से गुणरहित ही होता है, वह अनादि तथा अविनाशी कालतत्त्व गृह-नक्षत्रादि के योग से शुभता एवं अशुत प्राप्त करता है, सर्वथा निर्दुष्ट काल मिलाना मुश्किल है। अतः कम से कम दोषावाले शुभ मुहूर्त को जानना चाहिए। अति स्वल्प दोष हों तो उनका प्रभाव नगण्य होजाता है, और ऐसा काल व मुहूर्त कार्य में शुभता प्रदान करता है।
प्रस्तुति आचार्य राजेश गौतम मथुरा