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वकालत से समाज सेवा की ओर

बैतूल। मप्र राज्य। वकालत का पेशा आज एक फलता फूलता हुआ उद्योग बन चुका हैं जिस पर हिन्दु वर्ण व्यवस्था के सवर्णो का एकाधिकार हैं। वकालत के क्षेत्र में बड़े बड़े वकीलो का नाम आपने सुना होना होगा वे सभी सवर्ण समाज से हैं। दलित पिछड़े आज भी सवर्ण समाज के अधिवक्ताओं को ही बुद्धिमान और विद्वान मानते हैं और मोटी फीस देकर गर्व महसूस करते हैं। वकालत में यह भी देखने को मिला हैं कि सवर्ण समाज के लोग कभी भी अपने मुकदमें दलित पिछड़े समाज के अधिवक्ताओं को पैरवी हेतु नहीं देते हैं। अदालत के सामने तो बड़ा वकील और छोटा वकील कोई मायने ही नहीं रखता हैं। अदालत तो केवल मामले को देखती हैं।

मेरी मुलाकात जबलपुर हाई कोर्ट में प्रशांत श्रीवास से हुई। उन्होने मुझे सुझाव दिया कि हम सब मिलकर अपने लोगो को मामूली फीस पर विधिक सेवाएं देकर समाज में एकता स्थापित करने का काम करें। अपने लोगो का पैसा बचेगा, अपने लोगो को लाभ मिलेगा और समाज सेवा भी हो जायेगी। इसे संत सेनजी महाराज का मिशन नाम दिया गया।

मैने अपनी वकालत में इस बात पर अमल करना प्रारंभ कर दिया हैं। मैं मप्र राज्य के सेन समाज के अधिवक्ताओं को जोडऩे का प्रयास कर रहा हूं। मैं फोन पर अपने समाज के लोगो को विधिक परामर्श देता हूं और जरूरत पडऩे पर अन्य जिलो का दौरा करके मुकदमें में पैरवी करने के लिए भी जाता हूं। आज स्थिति यह हैं कि सेन समाज के लोग अन्य जिलो से मेरे पास मुकदमें की फाईल लेकर आते हैं और परामर्श करते हैं। सेन समाज को चाहिए वे एक दूसरे से जुड़े और अपने लोगो की योग्यता का लाभ उठाएं और समय व पैसा बचाये।

article by: Bharat Sen