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किसान ने बंजर जमीन में लगाए नोटों के पेड़ - हर साल उगते है लाखों रुपये

जिला देवास विकासखण्ड खातेगाँव ग्राम घोड़ीघाट के निवासी रामसुख विश्नोई के पूर्वज ज्वार, कपास, मूंगफली, उड़द, मूंग आदि की परम्परागत खेती करते थे। इसके बाद सोयाबीन और चने की फसल लेते थे। कृषि भूमि बहुत हल्की मुरम होने के कारण रामसुख 15 एकड़ भूमि पर करीबन 80 से 90 हजार रुपये ही कमा पाते थे। इस कारण भूमि का अधिकतर हिस्सा चारागाह बनता गया और उनकी खेती करने की इच्छा खत्म होने लगी।

चारागाह बनती जा रही खेती की जमीन में अनार के पौधे लगाकर रामसुख ने अपनी तकदीर बदल ली।

उद्यानिकी विभाग की कृषक संगोष्ठी एवं प्रशिक्षण में अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने उन्हें उद्यानिकी की तकनीकी खेती के बारे में बताया और सलाह दी कि वे हल्की मुरम वाली भूमि पर अनार की खेती करें। साथ ही महाराष्ट्र भ्रमण कराकर हल्की मुरम वाली भूमि पर अधिक उत्पादन ले रहे कृषकों से भेंट करवाई। फिर क्या था, रामसुख ने 15 एकड़ भूमि पर अनार का रोपण किया। शासन की योजना अनुसार 40 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के मान से अनुदान तीन किस्तों में मिला। इस बड़ी सहायता से उनको खेती करने का उत्साह मिला। समय-समय पर उद्यानिकी विभाग द्वारा तकनीकी जानकारी, दवाई, माइक्रोन्यूट्रेन ड्रिप एरिगेशन से खाद देने की विधियाँ बताई गईं।

पहले कमाते थे 80 हज़ार, अब कमाते हैं 50 – 60 लाख

रामसुख ने 2 साल में अनार की पहली फसल 8 लाख 70 हजार रुपये में बेची। इससे रामसुख का उत्साह बढ़ा और दूसरी फसल 55 लाख 20 हजार रुपये में बेची। अभी भी उन्हें नई फसल 50 से 60 लाख रुपये तक बिकने की उम्मीद है। रामसुख कहते हैं कि मेरे और मेरे परिवार ने जहाँ खेती का व्यवसाय छोड़ने की सोची थी, वहीं अब मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के किसान मेरे खेत देखने और खेती की सलाह लेने आते हैं। क्षेत्र में लोग उन्हें अनार वाले भैया के नाम से जानने लगे हैं।

Farmers planted trees in a barren land – grow millions of rupees every year