मध्यप्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाएँ
मध्यप्रदेश सरकार अपने राज्य के हर एक नागरिक के जीवन में खुशी और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे राज्य की पहल स्पष्ट होती है। लोक सेवा गारंटी अधिनियम, लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री की पंचायतें, समाधान ऑन लाइन, बेटी बचाओ अभियान जैसी योजनाएं, राज्य की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में पहल के सबसे अच्छे उदाहरण हैं। यह योजनाएं विशिष्ट परिणाम प्रदान कर रही हैं और प्रत्यक्ष परिवर्तन ला रही है। इनमें से कुछ इतनी प्रभावशाली है, की अन्य राज्य भी इन्हे अपना रहे है।
‘मध्यप्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम, 2010' देश में पहली बार, अपनी खास तरह का अधिनियम है, जो निर्धारित समय सीमा में नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं के प्रदान की गारंटी देता है।
यह "ऐतिहासिक अधिनियम" अच्छे शासन को प्राप्त करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता का एक प्रतिबिंब है। ‘मध्यप्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2010' नागरिकों को निर्धारित समय के भीतर बुनियादी सार्वजनिक सेवाओं के प्रदान की गारंटी देता है और ऐसा करने में विफलता के लिए जवाबदेही तंत्र की योजना करता है। इस अधिनियम के तहत, जाति, जन्म, विवाह और अधिवास प्रमाण पत्र जारी करना, पीने के पानी के कनेक्शन, राशन कार्ड, भू-अभिलेखों की प्रतियां जैसी 52 महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवाओं को अधिसूचित किया गया है। हर सेवा की डिलीवरी के लिए एक समय अवधि तय किया गया है। जो अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहता है और इन सेवाओं को समय पर प्रदान नहीं करता हैं, उसे प्रति दिन 250 रुपये से लेकर अधिकतम 5000 रुपये तक की रकम का भुगतान, जुर्माने के रूप में करना पडता है।
यह अधिनियम दो चरण की अपील प्रक्रिया प्रदान करता है। जब नागरिक को समय पर अधिसूचित सेवा प्राप्त नहीं होती, तब वह प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील कर सकते हैं। यदि प्रथम अपीलीय प्राधिकारी लापरवाह है अथवा नागरिक उसके निर्णय से असंतुष्ट है, तो वह दूसरे अपील प्राधिकारी के पास अपील दायर कर सकते हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ दूसरे अपीलीय प्राधिकारी को जुर्माना लगाने के और अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश देने की शक्ति होती है। जहां अपराधी अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाता है, वही आवेदकों को असुविधा झेलने के कारण मुआवजे का भुगतान किया जाता हैं। यह अनोखा कानून सिटीजन चार्टर के उद्देश्यों को साकार करने के लिए एक प्रभावी साधन प्रदान करता है।
लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2010
‘मध्यप्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम, 2010' देश में पहली बार, अपनी खास तरह का अधिनियम है, जो निर्धारित समय सीमा में नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं के प्रदान की गारंटी देता है।
यह "ऐतिहासिक अधिनियम" अच्छे शासन को प्राप्त करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता का एक प्रतिबिंब है। ‘मध्यप्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2010' नागरिकों को निर्धारित समय के भीतर बुनियादी सार्वजनिक सेवाओं के प्रदान की गारंटी देता है और ऐसा करने में विफलता के लिए जवाबदेही तंत्र की योजना करता है। इस अधिनियम के तहत, जाति, जन्म, विवाह और अधिवास प्रमाण पत्र जारी करना, पीने के पानी के कनेक्शन, राशन कार्ड, भू-अभिलेखों की प्रतियां जैसी 52 महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवाओं को अधिसूचित किया गया है। हर सेवा की डिलीवरी के लिए एक समय अवधि तय किया गया है। जो अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहता है और इन सेवाओं को समय पर प्रदान नहीं करता हैं, उसे प्रति दिन 250 रुपये से लेकर अधिकतम 5000 रुपये तक की रकम का भुगतान, जुर्माने के रूप में करना पडता है।
यह अधिनियम दो चरण की अपील प्रक्रिया प्रदान करता है। जब नागरिक को समय पर अधिसूचित सेवा प्राप्त नहीं होती, तब वह प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील कर सकते हैं। यदि प्रथम अपीलीय प्राधिकारी लापरवाह है अथवा नागरिक उसके निर्णय से असंतुष्ट है, तो वह दूसरे अपील प्राधिकारी के पास अपील दायर कर सकते हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ दूसरे अपीलीय प्राधिकारी को जुर्माना लगाने के और अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश देने की शक्ति होती है। जहां अपराधी अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाता है, वही आवेदकों को असुविधा झेलने के कारण मुआवजे का भुगतान किया जाता हैं। यह अनोखा कानून सिटीजन चार्टर के उद्देश्यों को साकार करने के लिए एक प्रभावी साधन प्रदान करता है।