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छुट्टी से हूं - इन तीन शब्दों में छुपी स्त्री की पीडा, व्यथा और बदलाव की कथा है पैडमैन

छुट्टी से हूं कहती स्त्री के लिए ये सिर्फ तीन शब्द नहीं है। इन तीन शब्दों में शामिल है पांच दिनों की प्रताडना, शर्म, ढोंग, दकियानूसी, अंधविश्वास के साथ रोज शर्म से मरना और नजरे नीची किए जमीन में धंस जाना। इस बोल्ड लेकिन शर्म की वजह से न कहे जा सकने वाले विषय को खूबसूरती और सरलता से रखती है अक्षय कुमार, राधिका आप्टे और सोनम कपूर की फ़िल्म पैडमैन। इन तीन शब्दों के पीछे छुपी स्त्री की पीडा, व्यथा और बदलते समाज के बदलाव की कथा इसे कह सकते है।

मध्यप्रदेष के शहर महेश्वर को महिलाओं के जीवन में बदलाव लाती इस कहानी के लिए अक्षय ने चुना और नर्मदा, रानी अहिल्या बाई से जुडे इस ढाई हजार साल पुराने शहर के सौंदर्य को सामाजिक उद्देश्य से जोड दिया। औरत के वो पांच दिन बायोलाजी के अनुसार तो एक सौगात है लेकिन आम भारतीय जीवन में महिलाओं के लिए वे शर्म, दर्द, अकेलेपन के साथ मुसीबत को न्यौता है। माहवारी इसको कितने तरीके से जाना जाता है। आंटी आई है, सिर से हूं, छूने का नहीं है, रसोई से बाहर हूं, छुट्टी से हूं, लाल झंडी, सुअर ने छू दिया, सिर पर कौआ बैठ गया, करने का नहीं है, फुर्सत नहीं हुई , बाहर हूं । इन शब्दों ने औरत के शरीर से जुडे इस विज्ञान को स्त्रियों के लिए सामुहिक शर्म बना दिया। हर औरत जानती है कि इन पांच दिनों को वो कैसे जीती है। कहने के लिए तो वो छुट्टी पर होती है। लेकिन छुट्टी के इन दिनों में पल पल जीने और मरने का काम उसके पास अलग से आ जाता है। उन पांच दिनों में अलग थलग पडी स्त्री उसके पीरियड से होने का नोटिस बोर्ड बना दी गई। पैडमैन में गली का लडका कहता है कि भाभी का पांच दिन का टेस्ट मैच शुरू हो गया है । यह एक संवाद न होकर उन सबके लिए एक तमाचा है जिन्होंने औरत को इन प्रथाओं से नमूना बना दिया।



पांच दिन के इस टेस्ट मैच को अरुणाचलम मुरुगनाथम की कहानी से जोडकर अक्षय कुमार ने परदे पर वो रचा है जो देश की महिलाओं की दिशा और दशा बदलने वाला साबित होगा। दंगल यदि साक्षी, गीता, बबीता की नई पीढी तैयार करती है तो पैडमैन महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य को लेकर गढा गया महाकाव्य साबित हो सकती है।

बात जरा सी है कि जिस कपडे से साईकिल नहीं पोछ सकते उसे शरीर के साथ घंटो लगाए रखो। इसके महंगे विकल्प को आम जीवन तक पहुंचाकर उपयोग के लिए कैसे प्रेरित करे जिद, जुनून, संघर्ष और सफलता की इस कहानी को अक्षय ने परदे पर जिया है। फिल्म के अंत में अंग्रेजी में भाषण देते अक्षय का अभिनय लाजवाब है।



इस फिल्म के संवाद सामाजिक परिवर्तन की ताकत रखते है। औरत के लिए शर्म से बडी बीमारी नहीं है, इस शर्म को सम्मान में बदलने के लिए जो करना होगा करूंगा। राधिका आप्टे का बेहद बोल्ड संवाद है औरत की टांगों के बीच मे क्यों उलझे हो। इस फिल्म में बालिका के पहली बार रजस्वला होने ऋतु शुद्धि के उत्सव का वर्णन है। इसके बाद बालिका को घर से बाहर सुलाकर दरवाजा बंद करने का दृष्य इसके निर्देषक आर बाल्की की सोच को दिखाता है। बेटी सयानी हुई और उसे हमने घर से बाहर कर दिया। पूरे मोहल्ले को सूचना दे दी और उसके स्वास्थ्य रक्षा के लिए आए व्यक्ति को तमाशा बना दिया। इस फिल्म का एक दृश्य और संवाद होर्डिंग बनाकर सुर्खियों में रखने लायक है। पैड का उपयोग करने से महिलाओं द्वारा इंकार किए जाने के दौरान अक्षय एक बाबा के जुलूस को देखकर कहते है कि यदि बाबा होता तो इसी चीज को पूजा कर पहनती। इस दृष्य से पहले बुरका, नन, तिलक, घूंघट के माध्यम से सभी समाज की दकियानूसी सोच पर चोट का महान फिल्मांकन है। ये विडंबना है कि हम विज्ञान को नकारते है और आडंबर का चोला ओढकर घूमते है।



मर्दानगी की एक नई परिभाषा इस फिल्म ने दी है। एक औरत की हिफाजत करने में नाकामयाब इंसान अपने आपको मर्द कैसे कह सकता है। फिल्म का निर्देशन, सिनेमेटोग्राफी शानदार है। इसके गीत कौसर मुनीर ने लिखे है। सीक्रेट सुपरस्टार के सपन रे सपन रे सपने मेरे गीत लिखने वाले इस लेखक कौसर मुनीर ने अपनी कलम से जोश और जज्बे को पैदा किया है। एक गीत की पंक्तियां है;

तेरे मांथे के कुमकुम को मैं तिलक लगा के घूमूँगा।
तेरी बाली की छुन छुन को मैं दिल से लगा के झुमुँगा।
मेरी छोटी सी भूलों को तू नदिया में बहा देना।
सारे तारों संग चंदा मैं तेरी गोद में रख दूंगा।
बस मेरे लिए तू कभी खिल के मुस्कुरा देना।
आज से मेरी सारी सदियाँ तेरी हो गयी।
आज से तेरा पल मेरा हो गया।

बेहद खूबसूरत गीत है। एक और गीत की पंक्ति है कल तक थी गुल अब गुलेल लगेगी।



फिल्म के विषय साहस, जोश के जज्बे को प्रस्तुत करता गीत है,

हाँ मैंने, चाँद को चुरा के मैंने, लोरियां सुना के मैंने, खुद को था सुलाया।

पर तूने बत्तियां जला दी तूने, धज्जियाँ उड़ा दी तूने, नींद से उठाया।

अबे साले सपने अब तो जागूँगा मैं रात दिन, होश उड़ा दूंगा, मैं तेरा पीछा न छोडूंगा ।

राधिका आप्टे और सोनम दोनों का अभिनय जानदार है। अमित त्रिवेदी ने एक बार फिर ताजगी भरा संगीत दिया है।

पैडमैन यानी द बोल्ड एंड द ब्यूटीफुल।


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