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आपका दिल फ़ट पड़ेगा इन औरतों की आपबीती सुन कर


अगर हमारे बच्चों को ज़रा सी चोट लग जाये तो हम सह नहीं पाते, ज़रा सोच कर देखें की इन चार औरतों के ऊपर क्या बीती होगी जब इनके बच्चों के साथ वो हुआ जो इन्होंने सपने भी नहीं सोच होगा।



छिंदवाडा के आदिवासी बहुल इलाके तामिया के ग्राम छिन्दी की रहने वाली श्रीमति रोशनी कवरेती, अनसुइया तेकाम, प्रेमकुमारी इवनाती और गनपति सल्लाम ये वो चार बदकिस्मत माताये है जिन पर कुदरत कहर बन कर टूटी है, इनके जीवन की खुशियां एक आदमखोर की भूख के भेंट चढ़ गयी, इन चारों महिलाओं एक माह मे अपने बच्चो को खो दिया। छिंदी क्षेत्र के ग़्रामीण इलाके मातामोहली, बाबईपठार, झिरपानी, खुलसान के चार बच्चो के शिकार के बाद वन विभाग ने जनहानि होने पर चार लाख की राशि देकर सांत्वना तो दी है लेकिन अब तक आदमखोर को पकडने की सारी कोशिशे महज सरकारी औपचारिक कार्यवाही बनकर रह गयी है।

चार माताओ की गोद उजाड गया आदमखोर, चार लाख की सहायता देकर सांत्वना दे रहा है वन विभाग


बीते जनवरी से अब तक एक माह में आदमखोर के चार शिकार ने चार मातायो का आंचल सूना कर दिया है वही आज तक वन विभाग को ये तक नही पता नही चल पाया कि आदमखोर तेंदुया है या शेर लगातार चार बच्चो की मौतो का सिलसिला जारी है अब तक चार बच्चो के अलावा आदमखोर ने छिंदी के ग्रामीण इलाको में दर्जनो पशुयो को भी अपना शिकार बनाया है अभी तक चारो बच्चो का शिकार उनकी मातायो के सामने हुआ जिसमे किसी मॉ ने बेटी को छुडाने पत्थर मारा तो किसी ने जलती लकडी लेकर बच्चे को बचाने का संघर्ष किया वही सबसे बदकिस्मत झिरपानी और खुलसान की माताये रही जिन्हे अपने बेटो के पैर या सिर ही अंतिम संस्कार के लिये मिल सका। किसी माँ ने अपने बच्चे के शरीर के हिस्से को उठाकर लाया।

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Your heart will cry, listening to these women