आसाराम को नाबालिग से रेप के मामले में उम्रकैद की सजा
आसाराम को नाबालिग से रेप के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने कहा कि वो जब तक जिंदा है तब तक उन्हें जेल में ही रहना होगा। अपने खिलाफ ये कड़ा फैसला सुनते ही आसाराम सिर पकड़कर रोने लगा। सजा सुनाए जाने के बाद उसे बैरक-2 में ले जाया गया। ये भी बताया जा रहा है कि आसाराम के कई आश्रमों पर भी ताला लगा दिया गया है। वहीं आसाराम की प्रवक्ता नीलम दुबे ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि वे इस फैसले के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट जाएंगे।
एससी/एसटी विशेष अदालत ने नाबालिग से बलात्कार के मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं, अन्य दोषी शिल्पी और शरदचंद्र को 20-20 साल की सजा सुनाई गई। जोधपुर सेंट्रल जेल के अंदर बनी विशेष कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने अपना अहम फैसला सुनाया। आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और यौन अपराध बाल संरक्षण अधिनियम (पोस्को) के तहत दोषी ठहराया गया है।
आसाराम पर उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक नाबालिग से बलात्कार करने का आरोप था, जिसमेें वो दोषी साबित हुए। यह लड़की मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में आसाराम के आश्रम में पढ़ाई कर रही थी। पीड़िता का आरोप है कि आसाराम ने जोधपुर के निकट मनई आश्रम में उसे बुलाया था और 15 अगस्त 2013 को उसके साथ दुष्कर्म किया था। आसाराम से इन आरोपों से इंकार किया था।
कैसे नपुंसक होने की दलील हुई खारिज और बलात्कारी करार हुए आसाराम
अब आसाराम बलात्कारी साबित हो चुके हैं। अदालत ने उन्हें अपनी ही 16 साल की एक शिष्या के साथ दुष्कर्म का दोषी करार दे दिया है। लेकिन इससे पहले आसाराम ने इस मामले में खुद को बचाने के लिए हर तिकड़म आजमाया था। यहां तक की आसाराम ने जांच अधिकारियों के सामने खुद को नपुंसक तक कह दिया था। शिष्या से बलात्कार के मामले में पकड़े जाने के बाद साल 2013 में आसाराम जोधपुर पुलिस के शिकंजे मे ंथे। उस वक्त मामले की जांच काफी तेजी से चल रही थी। तब ही आसाराम ने सितंबर के महीने में खुद को बचाने के लिए बड़ा दांव चला। आसाराम ने जांच अधिकारियों से कहा कि वो तो नपुंसक हैं और वो बलात्कार कर ही नहीं सकते।
72 साल के आसाराम के इस दावे की पोल ‘पोटंसी टेस्ट’ (मर्दानगी जांच) में खुल गई। असल में नामर्द होने का जो ढोंगे आसाराम ने रचा वो उन्हीं के गले की हड्डी बन गया। उस वक्त जोधपुर पुलिस कमिश्नर बिजू जॉर्ज जोसेफ ने आसाराम के इस दावे की जांच के लिए चिकित्सकों की एक टीम को राजस्थान के पुलिस हेडक्वार्टर में बुलाया। मुख्यालय में ही आसाराम का ‘पोटंसी टेस्ट’ किया गया। जांच के बाद पुलिस ने बतलाया कि इस टेस्ट से साबित हो गया है कि आसाराम 16 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के लायक हैं। पोटंसी टेस्ट के पॉजीटिव पाए जाने के बाद इस केस में आसाराम की मुश्किलें और भी बढ़ गईं।
अक्टूबर के महीने में आसाराम का दूसरा पोटेंसी टेस्ट किया गया है। इससे पहले आसाराम जांच में पुलिस अधिकारियों को सहयोग नहीं कर रहा था। आसाराम को उस दौरान अहमदाबाद सिविल अस्पताल भी ले जाया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने जब आसाराम से स्पर्म की मांग की तो उसने बीमारी का बहाना बनाकर स्पर्म देने से इनकार कर दिया था। लेकिन जल्दी ही आसाराम का दूसरा ‘पोटंसी टेस्ट’ किया गया। इस बार के पोटंसी टेस्ट में भी रिपोर्ट पॉजीटिव ही पाया गया। उस वक्त संयुक्त पुलिस महानिदेशक जेके भट्ट ने कहा था कि दूसरी बार भी आसाराम का ‘पोटंसी टेस्ट’ पॉजीटिव पाया गया है।