आ जाती हैं कुछ यादें
धूल की पर्तों के नीचे तस्वीरों में अहसास जगाती हुई
ख़्वाहिशें कांधे पे लिए कुछ इठलाती हुईं
आ जाती हैं कुछ यादें दिल को बहकाती हुईं ।
चढ़ती हुई जवानी में फ़ितरतन नगमे गुनगुनाती हुई
बेशर्मी में मुस्कुराते, गले लगते शर्माती हुई
आ जाती हैं कुछ यादें दिल को बहकाती हुईं ।
चादर पे जुम्बिशें रात चांदनी जाती हुई,
शोख़ नखरे, बलखाती, हसरतें दौड़ाती हुईं
आ जाती हैं कुछ यादें दिल को बहकाती हुईं।
नजर उठा के देखो तो बेचैन कर जाती हुई
हवा के रुख पे जज़्बात सजाती हुई,
आ जाती हैं कुछ यादें दिल को बहकाती हुईं।
डॉ. रूपेश जैन 'राहत'
ख़्वाहिशें कांधे पे लिए कुछ इठलाती हुईं
आ जाती हैं कुछ यादें दिल को बहकाती हुईं ।
चढ़ती हुई जवानी में फ़ितरतन नगमे गुनगुनाती हुई
बेशर्मी में मुस्कुराते, गले लगते शर्माती हुई
आ जाती हैं कुछ यादें दिल को बहकाती हुईं ।
चादर पे जुम्बिशें रात चांदनी जाती हुई,
शोख़ नखरे, बलखाती, हसरतें दौड़ाती हुईं
आ जाती हैं कुछ यादें दिल को बहकाती हुईं।
नजर उठा के देखो तो बेचैन कर जाती हुई
हवा के रुख पे जज़्बात सजाती हुई,
आ जाती हैं कुछ यादें दिल को बहकाती हुईं।
डॉ. रूपेश जैन 'राहत'