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सर झुकाना आ जाये

नज़ाकत-ए-जानाँ1 देखकर सुकून-ए-बे-कराँ2 आ जाये


चाहता हूँ बेबाक इश्क़ मिरे बे-सोज़3 ज़माना आ जाये


मुज़्मर4 तेरी अच्छाई हम-नफ़्स मुझमे, क़िस्मत मिरी


लिखे जब तारीख़े-मुहब्बत5 तो हमारा फ़साना आ जाये


माना हरहाल मुस्कुराते रहना है रिवायत-ए-जवानी6


जुस्तजू इतनी दौर-ए-ग़म7 में रिश्ते निभाना आ जाये


बे-लिहाज़8 बस्ती में हो चला मतलब-आश्ना9 हर कोई


भरोसा रखने से बेहतर दर्द-ए-बेकसी10 भुलाना आ जाये


इबादत-गुज़ार11 हूँ मिरे मालिक़ इनायत बख्शते रहना


दुआ 'राहत' नाम तिरा आये तो सर झुकाना आ जाये


 

                                           - डॉ. रूपेश जैन 'राहत'



शब्दार्थ:


१ नज़ाकत-ए-जानाँ : प्रिय की सादगी


२ सुकून-ए-बे-कराँ :  अशांत की शांति/ असीम शांति


३ बे-सोज़ : जिसमें जलन न हो


४ मुज़्मर : छुपी हुई


५ तारीख़े-मुहब्बत : प्रेम का इतिहास


६ रिवायत-ए-जवानी : युवा होने के नाते, युवाओं की परंपरा


७ दौर-ए-ग़म : पीड़ा का समय


८ बे-लिहाज़ -:बेशर्म


९ मतलब-आश्ना : मतलब से प्यार करने वाला


१० दर्द-ए-बेकसी - असहाय होनें की पीड़ा


११ इबादत-गुज़ार - भक्त, प्रार्थना करने वाला