भारत में पहली बार जैव ईंधन से उड़ा विमान
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत भी उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने बायोफ्यूल से विमान उड़ाने में सफलता हासिल कर ली है। स्पाइस जेट के एक ऐसे ही कमर्शियल विमान ने सोमवार दिनांक 28-08-2018 को देहरादून से दिल्ली के बीच उड़ान भरी। मुख्य बात यह है कि जैव ईंधन को भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ने जट्रोफा पौधे के बीज से निकाला है।
इस उड़ान के लिए इस्तेमाल ईंधन 75 प्रतिशत एविएशन टर्बाइन फ्यूल यानी एटीएफ और 25 प्रतिशत जैव जेट ईंधन का मिश्रण था। जट्रोफा फसल से बने इस ईंधन का विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने किया है। एटीएफ की तुलना में जैवजेट ईंधन इस्तेमाल का फायदा यह है कि इससे कॉर्बन उत्सर्जन घटता है और साथ ही इसकी लागत भी कम होती है ।
दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरी ये वो उड़ान है जिसने सोमवार को देश के नागरिक उड्डयन क्षेत्र में इतिहास रच दिया। देहरादून से उडकर दिल्ली पहुंची ये उड़ान इसलिए खास है क्योंकि इसने जैविक ईंधन से उड़ान भरी है । विमान कंपनी स्पाइसजेट ने देश की पहली जैव जेट ईंधन से चलने वाली परीक्षण उड़ान का परिचालन किया। बॉम्बार्डियर क्यू 400 विमान के जरिये इस उड़ान का परिचालन किया गया और इसमें आंशिक रूप से जैव जेट ईंधन का इस्तेमाल किया गया। देहरादून से रवाना होकर यह उड़ान दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरी। हवाई अड्डे पर इस उडान के आगमन के मौके पर केंद्रीय उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु , केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी , पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन भी मौजूद थे । सरकार का कहना है कि यह मंत्रालय की महज़ एक शुरूआत है। मंत्रालय एक नए एक्शन प्लान पर काम कर रहा है जिसका उद्देश्य 2035 तक पर्यावरण क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हासिल करना है। सरकार के मुताबिक वाले वर्षों में जैव ईंधन के उपयोग से विमानन उद्योग को अपनी बैलेंस शीट में सुधार करने में भी मदद मिलेगी।
इस उड़ान के लिए इस्तेमाल ईंधन 75 प्रतिशत एविएशन टर्बाइन फ्यूल यानी एटीएफ और 25 प्रतिशत जैव जेट ईंधन का मिश्रण था। जट्रोफा फसल से बने इस ईंधन का विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने किया है। एटीएफ की तुलना में जैवजेट ईंधन इस्तेमाल का फायदा यह है कि इससे कॉर्बन उत्सर्जन घटता है और साथ ही इसकी लागत भी कम बैठती है। इसका फायदा विमान कंपनियों को ये होगा कि परंपरागत विमान ईंधन पर प्रत्येक उड़ान में निर्भरता में करीब 50 प्रतिशत की कमी होगी साथ ही लोगों को किराये में कमी का फायदा मिल सकता है।
गौरतलब है कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में कुछ कॉमर्शियल फ्लाईटें पहले से बॉयो-फ्यूल से उड़ान भर रही है। लेकिन विकासशील देशों की सूची में ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत में जैविक ईंधन की मदद से प्लेन ने उड़ान भरी रही है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार जैव ईधन की वकालत करते रहे हैं ताकि फोसिल फ्यूल पर निर्भरता कम हो सके। हाल ही में जैव ईधन दिवस के मौके पर पीएम ने इस पर खास जोर देते हुए कहा था कि इससे न केवल देश को आर्थिक तौर पर फायदा होगा बल्कि किसानों को भी लाभ होगा ।
इस उड़ान के लिए इस्तेमाल ईंधन 75 प्रतिशत एविएशन टर्बाइन फ्यूल यानी एटीएफ और 25 प्रतिशत जैव जेट ईंधन का मिश्रण था। जट्रोफा फसल से बने इस ईंधन का विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने किया है। एटीएफ की तुलना में जैवजेट ईंधन इस्तेमाल का फायदा यह है कि इससे कॉर्बन उत्सर्जन घटता है और साथ ही इसकी लागत भी कम होती है ।
दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरी ये वो उड़ान है जिसने सोमवार को देश के नागरिक उड्डयन क्षेत्र में इतिहास रच दिया। देहरादून से उडकर दिल्ली पहुंची ये उड़ान इसलिए खास है क्योंकि इसने जैविक ईंधन से उड़ान भरी है । विमान कंपनी स्पाइसजेट ने देश की पहली जैव जेट ईंधन से चलने वाली परीक्षण उड़ान का परिचालन किया। बॉम्बार्डियर क्यू 400 विमान के जरिये इस उड़ान का परिचालन किया गया और इसमें आंशिक रूप से जैव जेट ईंधन का इस्तेमाल किया गया। देहरादून से रवाना होकर यह उड़ान दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरी। हवाई अड्डे पर इस उडान के आगमन के मौके पर केंद्रीय उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु , केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी , पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन भी मौजूद थे । सरकार का कहना है कि यह मंत्रालय की महज़ एक शुरूआत है। मंत्रालय एक नए एक्शन प्लान पर काम कर रहा है जिसका उद्देश्य 2035 तक पर्यावरण क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हासिल करना है। सरकार के मुताबिक वाले वर्षों में जैव ईंधन के उपयोग से विमानन उद्योग को अपनी बैलेंस शीट में सुधार करने में भी मदद मिलेगी।
इस उड़ान के लिए इस्तेमाल ईंधन 75 प्रतिशत एविएशन टर्बाइन फ्यूल यानी एटीएफ और 25 प्रतिशत जैव जेट ईंधन का मिश्रण था। जट्रोफा फसल से बने इस ईंधन का विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने किया है। एटीएफ की तुलना में जैवजेट ईंधन इस्तेमाल का फायदा यह है कि इससे कॉर्बन उत्सर्जन घटता है और साथ ही इसकी लागत भी कम बैठती है। इसका फायदा विमान कंपनियों को ये होगा कि परंपरागत विमान ईंधन पर प्रत्येक उड़ान में निर्भरता में करीब 50 प्रतिशत की कमी होगी साथ ही लोगों को किराये में कमी का फायदा मिल सकता है।
गौरतलब है कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में कुछ कॉमर्शियल फ्लाईटें पहले से बॉयो-फ्यूल से उड़ान भर रही है। लेकिन विकासशील देशों की सूची में ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत में जैविक ईंधन की मदद से प्लेन ने उड़ान भरी रही है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार जैव ईधन की वकालत करते रहे हैं ताकि फोसिल फ्यूल पर निर्भरता कम हो सके। हाल ही में जैव ईधन दिवस के मौके पर पीएम ने इस पर खास जोर देते हुए कहा था कि इससे न केवल देश को आर्थिक तौर पर फायदा होगा बल्कि किसानों को भी लाभ होगा ।