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क्या थी आसिफ से आशु महाराज बनने की वजह

पुलिस पूछताछ में इस कथित महाराज ने कहा, 'मुस्लिम धर्मगुरु बनने पर मुझे इतना पैसा नहीं मिलता, जितना की हिंदू धर्मगुरु बनने पर। बस इसके लिए मुझे केवल आसिफ से आशु महाराज ही तो बनना था। मेरे ऐसा करते ही धंधा चल निकला और मेरे दरबार में अंधविश्वासी लोग नोटों की थैली भरकर मत्था टेकने लगे।'

धर्मगुरु बनने के लिए उसने हिंदू नाम का सहारा लिया। पुलिस पूछताछ में आसिफ ने बताया, 'असल में मुस्लिम समुदाय धर्म के नाम पर इतना पैसा खर्च नहीं करता, जितना कि हिंदू समुदाय करता है। बस इसके लिए लोगों को जरा-सा डराने की जरूरत होती है।' इसके अलावा उसने कहा, 'अगर सलाह से किसी एक को भी थोड़ा आराम मिलना शुरू हो गया तो बस लोगों की जेबों से पैसे अपने आप ढीले होने लगते हैं। लोगों की इसी कमजोरी का फायदा हमें उठाना होता है।'

आसिफ उर्फ आशु महाराज दिल्ली की पॉश कॉलोनी हौजखास में आश्रम बनाकर लोगों की आंखों में धूल झोंक रहा था। वह कभी पंक्चर बनाने का काम करता था। इसके बाद आसिफ नाम बदलकर आशु बन गया और लोगों का भविष्य बताने का काम करने लगा। वह हाथ देखने के एवज में 25,000 रुपये फीस लेता था। इतना ही नहीं वह अपने क्लाइंटों से दिल्ली के फाइव स्टार होटलों में मुलाकात करता था।

आसिफ मोहम्मद खान उर्फ़ आशु महाराज मां-बेटी से रेप के मामले में गिरफ्तार