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वो ज़माने का ही हुआ, पर मेरा राज़दार न हुआ

उसको तोहमतें ज़्यादा मिली,तारीफें बहुत कम

जो अच्छा तो बहुत हुआ पर खुद्दार न हुआ ।।2।।


सारी ज़िन्दगी खोल के रख दी उसके सामने

वो ज़माने का ही हुआ,पर मेरा राज़दार न हुआ ।।3।।


सबको भूख थी उस बच्ची के कच्चे जिस्म की

जब गुनाहों की जिरह हुई तो कोई दावेदार न हुआ ।।4।।


माँ-बाप ने नींदें बेचकर बच्चों के ख्वाब पाल दिए

पर आदतन बच्चा उनके अहसानों के कर्ज़दार न हुआ ।।5।।


- सलिल सरोज