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सीधी जिले में घुस आये उत्पाती हाथियों को वन विभाग ने रेस्क्यू किया

पिछले महीने 4 अगस्त को छत्तीसगढ़ की ओर से मवई नदी पार कर सीधी जिले में घुस आये उत्पाती हाथियों को वन विभाग ने रेस्क्यू कर लिया है। हाथियों के दल को रेस्क्यू करने का यह मध्यप्रदेश और संभवत: देश की भी सबसे पहली सफलता है। इन हाथियों को बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व भेजे जाने की कार्यवाही की जा रही है।


हाथियों के दल ने सबसे पहले संजय टाइगर रिजर्व के गाँव कुन्दौर के समीप जंगल में डेरा जमाया था। उन्होंने रात में गाँव के कच्चे घरों को तोड़कर उनमें रखा अनाज खा लिया और खेतों की फसलों को तबाह कर दिया। टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने तत्काल सोलर लाइट गाँव की सीमा पर लगा कर हाथियों को गाँव में घुसने से रोका। इसके बाद हाथी अन्य गाँवों में भी इसी तरह उत्पात मचाते हुए सीधी मुख्यालय की 15 किलोमीटर की परिधि में पहुँच गये। वन अमला 24 घंटे विभिन्न टीम द्वारा हाथियों पर नजर रखे रहा। हाथियों को भगाने के लिये पश्चित बंगाल से विशेषज्ञ भी बुलाये गये। ग्रामीणों को पोस्टर, बैनर, मुनादी आदि द्वारा सचेत किया जाता रहा। बचाव के उपायों की लगातार जानकारी देने के बावजूद हाथियों ने दो ग्रामीणों को मार डाला।


ग्रामीणों, परिसम्पतियों और हाथियों की सुरक्षा को देखते हुए संजय टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक ने हाथियों को बेहोश कर रेस्क्यू करने और उन्हें बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ले जाने का अनुरोध किया। विभाग द्वारा तद्नुसार लिये गये निर्णय के परिप्रेक्ष्य में पुराने अनुभवों के आधार पर बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक श्री मृदुल पाठक को यह जिम्मा सौंपा गया।


श्री पाठक के नेतृत्व में बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारी, सात हाथी और उनके महावत, टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के सदस्य संजय टाइगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारी, पेट्रोलिंग श्रमिक, महावत सहित दो हाथी और सुरक्षा श्रमिकों का एक दल गठित कर 7 सितम्बर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। दल ने 9 सितम्बर को एक नर हाथी, 12 सितम्बर को हाथी का बच्चा, 15 सितम्बर को 2 मादा हाथी और 16 सितम्बर को 5वाँ और अंतिम हाथी रेस्क्यू किया।


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