काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती
काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती
परिणय की परिपाटी में तुम पर न्यौछावर हुआ
तुम्हें अपना वर्तमान और भविष्य माना
हर पग तेरे साथ चलने की कोशिश की, तुम में ही अपना सर्वस्व ढूँढा
काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।
हर रात उठ-उठ कर तेरे चेहरे में ख़ुद को ढूँढा
हर सुबह उठ कर तेरे सोते हुये चेहरे का अजब सा मुँह मोड़ना देखकर ख़ुश हुआ
तेरे बालों की महक से तेरी थकान का अंदाज़ा लगा सकता हूँ
तेरे चेहरे की शिकन से तेरा मूड बता सकता हूँ
काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।
हालांकि गुलाबी शूट और बैंगनी साड़ी तुम पे जचती है
गुलाब की चार पंखुड़ियाँ तेरी मुस्कान बढ़ाती हैं
सूरज की कुछ ही किरणों में तुम थक जाती हो
हवा के चंद झोंकों में ठण्ड से डर जाती हो
काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।
घर के किसी भी कोने में जब तुम होती हो
क्या महसूस किया तुमने, हर थोड़ी देर में तुम्हें देख जाता हूँ
काली टी-शर्ट में तेरा सोता हुआ फोटो देख कर आज भी चहक जाता हूँ
सेवपुरी के दो टुकड़ों में तेरी मुस्कान अब भी दिखती है
काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।
रेड लेबल चाय का बड़ा डिब्बा तेरे बड़े से मग की याद दिलाता है
मेरी कॉफ़ी का १० रूपये वाला पाउच अब भी तेरे चाय के डब्बे से शर्माता है
मैरून रंग की वाशिंग मशीन से जब फर्श पर पानी फैलता है
और डबल बेड की सरकती ट्रॉली तेरी याद दिलाती है
काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।
तेरा छोटा सा डस्ट-बिन खाली पड़ा है
पुरानी कॉलेज की बॉय-कट बालों वाली फोटोज और फाईलें वैसी ही पड़ी हैं
तेरी तकिया से वही ख़ुशबू आती है
तेरे टेडी तेरी याद दिलाते हैं
काश! तुम मेरे प्यार को समझ पाती।
डॉ. रुपेश जैन 'राहत'