Top Story

गुरुदासअग्रवाल - धर्म से धरती की हवा पानी और भूमि के रक्षक

गुरुदास भाई का विज्ञान आम लोगों के लिए था

विज्ञान एक ऐसा विषय है जो रहता तो आम आदमी और आम जीवन से जुड़ा लेकिन आम लोगों के लिए रहता हमेशा खास है। और इससे जुड़े व्यक्ति तो खुद को खास समझते ही है। अध्ययन से सिविल इंजीनियर, पेशे से शिक्षक, कर्म से पर्यावरणविद और धर्म से धरती की हवा पानी और भूमि के रक्षक गुरुदास भाई न खुद खास थे न उनका विज्ञान खास था। असाधारण तरीके से उन्होंने विज्ञान और इंजीनियरिंग को आम लोगों के बीच ला दिया।

आईआईटी का प्रोफेसर क्या होता है ये लोग जानते है। उसके ग्लेमर से भी परिचित होते है। लेकिन इस खास और चमकदार ओहदे के बाद भी गुरुदास भाई का व्यक्तित्व बेहद साधारण था । इतना साधारण कि इन्हें जमीन पर बैठकर आम विद्यार्थियों के समूह के बीच काम करते देखा है और इतना खास कि देश दुनिया की बड़ी हस्तियों के बीच बैठे भी देखा है। अपने ज्ञान को आम जीवन के लिए जोड़ने वाला यह शख्स गंगा के लिए शहीद हो गया। गंगा के लिए जान देने वाले ये दूसरे संत है। संत हमने हमेशा भगवा कपड़ो में दाढ़ी वाले देखे है। लेकिन इस भगवा बाने और सफेद दाढ़ी जे बीच विज्ञान का एक जानकार मौजूद था। कईं वैज्ञानिक आम जीवन से दूर होते है। इनके काम हमेशा चलते है लेकिन आम लोगों से उनका कोई सरोकार नहीं होता।

इस मायने में गुरुदास जी अलग थे। रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियर और बाद में कानपुर आईआईटी में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के इस प्रोफेसर ने विज्ञान को आम लोगों से जोड़ा। परासिया जैसे छोटे शहर में पानी हवा और मिट्टी का परीक्षण किया। आम विद्यार्थियों को उन्होने इस काम मे शामिल किया और उनसे ही पूरी गणना करवाई।काम के वे पक्के थे और इरादे के अटल। इसी के चलते वे चले भी गए। उंस समय के विद्यार्थी बताते है कि केलकुलेशन में दिक्क्त आने पर उन्होंने कैलकुलेटर के इस्तेमाल की अनुमति दी। लेकिन कैलकुलेटर वालों से पहले उन्होंने अपनो गणना पूरी कर ली।

बाद के दिनों में उनके सिखाये लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। हाई वॉल्यूम सेम्पलर के मॉडल के साथ हमने रसोई घर मे कोयले की अंगीठी और हवा में धूल के कणों के परीक्षण किया। गुरुदास भाई के साथ छोटे गांव के लोगों को काम करने का मौका मिला ये बड़ी बात थी। जिन लोगों ने कभी न प्रयोग किये न उपकरण इस्तेमाल किये उन्होंने ऐसे लोगों को आम जीवन की समस्याओं से जुड़े विज्ञान और प्रयोगो से जोड़ा और इसका निराकरण भी बताया। इस मायने में वे एक सच्चे वैज्ञानिक, सच्चे पर्यावरणविद और सच्चे शिक्षक बने। एक महान पर्यावरणविद के पर्यावरण प्रदूषण से जूझ रहे क्षेत्र से जुड़ना एक सार्थक संयोग था। प्रोफेसर विजय दुआ, पिपरिया से गोपाल राठी, कमल महेन्द्रू, भवानी सिंह राजपूत, उमाशंकर पोस्ते, मदन सराठे, केपी पांडेय ने क्षेत्र से गुरुदास भाई को जोड़ा।

कुछ साल पहले वे जब चित्रकूट ग्रामोदय विश्विद्यालय के कुलपति थे तब एक बार फिर उन्हें परासिया आना था लेकिन ये संभव नहीं हो सका। बाद में गंगा दशहरा पर हरिद्वार से उनके आंदोलन पर खबर की थी। उनका इस तरह से जाना खल गया। कहीं तो चूक हुई है। गुरदास भाई चले गए। उनका जीवन उनका व्यक्तित्व और उनके कर्म असाधारण ज्ञान के साधारण लोगों के लिए उपयोग के महाकाव्य के रूप में याद रखा जाएगा। उनके साथ जिस पीढ़ी को काम करने का मौका मिला उंस पीढ़ी के नुमाइंदे के रूप में हमारा प्रणाम।

हार्दिक श्रद्धांजलि

प्रशांत शैलके

#गुरुदासअग्रवाल