Top Story

मेरे इश्क़ का सफर अभी जारी है

आँखों में नशा, जिस्म में खुमारी है

मेरे इश्क़ का सफर अभी जारी है


मुझे देख वो हया में लिपट जाती हैं

कुछ तो है ऐसा जिसकी राजदारी है


इश्क़ कैसे न हो बेसबर कोई तो बताए

जब हुश्न के कयामत ढ़ाने की तैयारी है


वो खुदा,ये कायनात सब तो उसके कायल हैं

न जाने इस आफ़ताब में जलने की किसकी बारी है


उनके कुछ ख़्वाब मेरी ही आँखों में जागते हैं

मानो कि उनकी नींदों की मुझपे उधारी है


अभी तुम नासमझ हो नहीं समझ पाओगे कि

हुश्न ने बेऔज़र होके भी कितनी जवानियाँ मारी है


सलिल सरोज