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तुम जब चले गए तो फिर हमें आए याद बहुत

तुम जब चले गए तो फिर हमें आए याद बहुत

जिस गुलशन को बसाया था,हुआ वो बर्बाद बहुत


सब गलियाँ है सूनी,सब रास्ते हो गए उदास बहुत

दिन है मेरा सोया सोया,और जागा है रात बहुत


जहाँ तक देखा था वो भी कम कुछ नहीं था

लेकिन कई अफसाने छिपे थे उसके बाद बहुत


जब था मौका तो रोक नहीं पाए जाते कदमों को

अब होगा भी क्या करके यूँ भी  फरियाद बहुत


अगर रोने से ही खुश हासिल है तो हैं हम शायद बहुत

तुम्हें समझ नहीं पाया,दिल हमारा था सैय्याद बहुत


सलिल सरोज