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जबसे शहर में कोई गाँव बीमार आ गया है

मेरे मोहल्ले में झूठ का बाज़ार आ गया है

दरवाज़ा खोलके देखो,अखबार आ गया है


जिन नन्हीं हथेलियों को खिलौनें चाहिए थीं

उन हाथों में खतरनाक औज़ार आ गया है


इंसाँ सब बँट गए हिन्दू और मुस्लिम में

धर्म के ठीकेदारों को कारोबार आ गया है


पूँजीपतियों की नींदें हराम हो गई हैं

जबसे शहर में कोई गाँव बीमार आ गया है


उजाड़ दी गईं सारी बस्तियाँ ही बस्तियाँ

उनके रास्ते में आलीशान मीनार आ गया है


- सलिल सरोज