Top Story

तू मेरी सुबह बनके आ तू मेरी शाम बनके आ


तू मेरी सुबह बनके आ तू मेरी शाम बनके आ

दूर आसमाँ में बैठे उस खुदा का पैग़ाम बनके आ


मेरी तिश्नगी का कोई हासिल है भी या नहीं

गर है तो तू मेरी कोशिशों का अंजाम बनके आ


तुझे चाहा जब से कोई और काम नहीं मुझे

जो ज़माने को भी दिखे तू वही काम बनके आ


मुफ़लिसों को भी हो थोड़ी मोहब्बत नसीब

हो सके जो पेशतर मुझे तू वो ही दाम बनके आ


मुझे एक तेरे नाम के सिवा कुछ सुनाई नहीं देता

दुनिया के लिए तू ही अब मेरा भी नाम बनके आ



- सलिल सरोज