उन एहसासों का फिर याद आ जाना - अनुपमा गांगुली का चौथा प्यार
पुस्तक समीक्षा
जाड़े की धुंध से ढंकी वो रात थी। कुहासा चारो तरफ था। बादल हवा में धुंआ धुंआ हो रहे थे। उंस सफेद रात तुम और मैं छत पर थे। तुम थी, मैं था, कोहरा था, नमी थी। बालों में लगाई शिकाकाई और रीठे की महक थी, इनसे काली हुई तुम्हारी अंगुलियों की पोर थी, कानों में चमकते टॉप्स थे जो दूर से आ रही लाइट के सामने आते ही कौंध उठते थे। मुंह से निकलते धुएँ के बादल तुम्हारे सांस छोड़ने से हवा में तैर जाते थे और इनमें मैं तुम्हें बिना बताए डूब जाना चाहता था। तुमने मेरे हाथों में भाप उगलता चाय का कप थमाया। तुम्हारे पास से अभी छीले गए संतरे की महक थी। चाय की हर चुस्की के साथ तुम्हारी गहरी आंखों में मैं डूब जाता था। सहसा मेरे आग्रह पर तुमने होंठो को सिकोड़ा और जोर की सीटी बजा दी। लगा दिसंबर की उंस रात कोयल ने कूक दिया हो। उंस सर्द रात रिश्ते की गर्मी थी। एक दूसरे से दूर होकर भी पास होने का अहसास था। दूर इसलिये की न छूने का वादा था और पास इसलिए कि उस धुंध के बीच मेरे साफ मन मे सिर्फ तुम ही थी। वो अनोखी रात, वो अल्हड़ अहसास, तुम्हारी हंसी की वो खनक, तुम्हारी मुस्कुराहट की वो उजली चमक आज फिर याद आ गयी। Anupama Ganguli Ka Chautha Pyar
अरे ये क्या लिखने लगा……!!
विजय श्री तनवीर ने अपनी किताब के उन पहले पन्नो पर सच लिख दिया इन्हें पढ़कर आप इन कहानियों में अपने आप को महसूस करेंगे, ऐसा मल्लों होगा जैसे आप खुद ही एक क़िरदार हो । आज विजय श्री तनवीर की लिखी किताब ‘अनुपमा गांगुली का चौथा प्यार’ से पहले प्यार का दूसरा दौर पढ़कर ये सच लगा। ये कहानियाँ खुद को महसूस कराने वाली है।
नायिका नीलिमा का अपने प्रेमी से शादी के बाद मिलना, दोनो का अपने खयालों में डूब जाना, इन दिनों को महसूस करना और घर जाकर धड़ाम से अपने वास्तविक जीवन मे फिर लौटना। गजब के जज़्बात उकेरे है। उस और वो शब्द की एक नई महिमा गढ़ दी है। पत्नी नायक के लिए उस है। उसको देखकर वह प्रेमिका से तुलना करता है और सोचता है औरतें ऐसी भी होती है। उधर प्रेमिका को लगता है वो लौटने वाले होंगे। घर के काम बाकी है। एक मुलाकात के माध्यम से अतीत, वर्तमान और भविष्य से जुड़े जज्बातों का सुंदर चित्रण।