Top Story

मुझे मेरी मौत का फरिश्ता चाहिए

हर रोज़ ही कोई नई खता चाहिए

इस दिल  को दर्द का पता चाहिए


कब तक होगा झूठा खैर मकदम

मुझे अब बेरुख़ी का अता* चाहिए


अच्छे लगते ही नहीं सूनी मंज़िलें

काँटों  से  ही भरा  रास्ता चाहिए


मेरा इश्क़ सबसे निभ नहीं पाएगा

सो हमनबा भी कोई सस्ता चाहिए


जिंदगी बोझिल है अब इस कदर

मुझे मेरी मौत का फरिश्ता चाहिए


*अता-दान


                           - सलिल सरोज