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सुना है कि आप लड़ते बहुत हैं


सुना है कि आप लड़ते बहुत हैं

शायद बातचीत से डरते बहुत हैं


मन्दिर-मस्जिद की आड़ लेकर

मासूमों पर जुल्म करते बहुत हैं


देशभक्त आपके अलावे और भी हैं

ऐसा कहें तो आप बिगड़ते बहुत हैं


रस्मों-रिवाज़ की नसें काट कर

आप चन्दन रोज रगड़ते बहुत हैं


जो कलंक मिट गई थी इस माटी से

आप उस जात-पात पे अकड़ते बहुत हैं


कोई जो पूछ ले समृद्ध इतिहास आपका

फिर अपनी हर बात से मुकरते बहुत हैं


                            - सलिल सरोज