रेवा विश्वविद्यालय बेंगलुरू में उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि एक विश्वस्तरीय उच्च शिक्षा प्रणाली आज समय की जरूरत है। आज बेंगलुरू में रेवा विश्वविद्यालय परिसर में अत्याधुनिक वास्तुकला ब्लॉक का उद्घाटन करने के बाद विश्वविद्यालय के छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर हम आखिर के व्यक्ति तक गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा के अवसरों का सृजन करने में असमर्थ रहते हैं, तो भारत की विकास की खोज अधूरी ही रहेगी। Vice President Venkaiah Naidu Bangalore
उत्कृष्टता और समावेश के बीच असंतुलन के बारे में व्यक्त् की गई चिंताओं की ओर इशारा करते हुए उपराष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा प्रणाली को अधिक न्यायसंगत और समावेशी बनाने के लिए उच्च शिक्षा प्रणाली का कायाकल्प करने का आह्वान किया।
श्री नायडू ने कहा कि देश में असाधारण प्रतिभा मौजूद है और हम गुणवत्ता युक्त शिक्षा विशेष रूप से उच्च शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के अवसरों की कमी के कारण इस प्रतिभा को निष्क्रिय नहीं छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपनी जनसंख्या के वंचित तबकों, महिलाओं और दिव्यांगों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को उच्च शिक्षा के विस्तार की रणनीति के केन्द्र में रखने की जरूरत है।
यह देखते हुए कि त्वरित औद्योगिकरण और आर्थिक विकास वर्ष 2030 तक लगभग 250 मिलियन कुशल लोगों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करेगा, श्री नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले वर्षों में भारत कुशल मानव शक्ति के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरेगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से ही देश में हुई प्रगति के बावजूद देश में उच्च शिक्षा प्रणाली अनेक खामियों से जूझ रही है। इन खामियों में अपर्याप्त नामांकन, गुणवत्ता मुद्दे, समानता का अभाव और बुनियादी ढांचे की कमी शामिल है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान पूरी दुनिया में उच्च शिक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों से छात्रों को नवाचारी और सजृनात्मक बनाने में सहायक माहौल का सृजन करने का आह्वान किया। उन्नत अनुसंधान भारत की उच्च शिक्षा के विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उन्होंने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से नवीनतम प्रौद्योगिकी अपनाने और शिक्षण कार्य प्रणाली के नये तरीके खोजने के लिए कहा।
उपराष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा संस्थानों से रोजगार परक कौशल से छात्रों को लैस करने के बारे में ध्यान देने के लिए कहा। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि शैक्षिक संस्थान और उद्योग तथा सरकार के बीच संबंधों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दें, ताकि छात्रों को उद्योग की मांग के अनुरूप तैयार किया जा सके और नये युग की नौकरियों के लिए प्रशिक्षित किया जा सके।
रेवा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. पी. श्यामा राजू, उपकुलाधिपति डॉ. एस.वाई. कुलकर्णी, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. एम. धनमजय, विश्वविद्यालय के न्यासी श्री भास्कर राजू, उमेश राजू और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
उत्कृष्टता और समावेश के बीच असंतुलन के बारे में व्यक्त् की गई चिंताओं की ओर इशारा करते हुए उपराष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा प्रणाली को अधिक न्यायसंगत और समावेशी बनाने के लिए उच्च शिक्षा प्रणाली का कायाकल्प करने का आह्वान किया।
श्री नायडू ने कहा कि देश में असाधारण प्रतिभा मौजूद है और हम गुणवत्ता युक्त शिक्षा विशेष रूप से उच्च शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के अवसरों की कमी के कारण इस प्रतिभा को निष्क्रिय नहीं छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपनी जनसंख्या के वंचित तबकों, महिलाओं और दिव्यांगों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को उच्च शिक्षा के विस्तार की रणनीति के केन्द्र में रखने की जरूरत है।
यह देखते हुए कि त्वरित औद्योगिकरण और आर्थिक विकास वर्ष 2030 तक लगभग 250 मिलियन कुशल लोगों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करेगा, श्री नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले वर्षों में भारत कुशल मानव शक्ति के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरेगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से ही देश में हुई प्रगति के बावजूद देश में उच्च शिक्षा प्रणाली अनेक खामियों से जूझ रही है। इन खामियों में अपर्याप्त नामांकन, गुणवत्ता मुद्दे, समानता का अभाव और बुनियादी ढांचे की कमी शामिल है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान पूरी दुनिया में उच्च शिक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों से छात्रों को नवाचारी और सजृनात्मक बनाने में सहायक माहौल का सृजन करने का आह्वान किया। उन्नत अनुसंधान भारत की उच्च शिक्षा के विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उन्होंने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से नवीनतम प्रौद्योगिकी अपनाने और शिक्षण कार्य प्रणाली के नये तरीके खोजने के लिए कहा।
उपराष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा संस्थानों से रोजगार परक कौशल से छात्रों को लैस करने के बारे में ध्यान देने के लिए कहा। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि शैक्षिक संस्थान और उद्योग तथा सरकार के बीच संबंधों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दें, ताकि छात्रों को उद्योग की मांग के अनुरूप तैयार किया जा सके और नये युग की नौकरियों के लिए प्रशिक्षित किया जा सके।
रेवा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. पी. श्यामा राजू, उपकुलाधिपति डॉ. एस.वाई. कुलकर्णी, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. एम. धनमजय, विश्वविद्यालय के न्यासी श्री भास्कर राजू, उमेश राजू और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।