पिंक बूथ बना आकर्षण का केंद्र
लोकतंत्र के इस महापर्व में पूरा माहौल लोकतंत्र के रंग में रंगा हुआ दिखाई दे रहा है जो देश और प्रदेश के भविष्य निर्माण के लिये है। लोकतंत्र के महात्यौहार को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत छिन्दवाड़ा नगर के भगवान श्रीचंद पब्लिक स्कूल में पिंक बूथ बनाया गया है जिसमें सभी मतदान कर्मी महिला हैं और पिंक वेषभूषा में है। Lok Sabha Election 2019 Chhindwara
इस पिंक बूथ में जहां भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार हर सुविधा जैसे रैम्प, पेयजल, फर्नीचर, विद्युत, पुरूष और महिला के लिये अलग-अलग शौचालय, छाया, झूलाघर, मेडिकल किट, हेल्प डेस्क, उचित संकेत (साइनेज), भोजन व्यवस्था, मतदाता सहायता पोस्टर व्यवस्था, कतार प्रबंधन और व्यवस्था के लिये वॉलेन्टियर्स की नियुक्ति आदि सुविधायें सुनिश्चित की गई, वहीं समाज के प्रत्येक मतदाता ने यहां आकर जवाबदेह व सक्षम प्रतिनिधि चुनने में स्वयं को गौरवान्वित व प्रसन्नचित महसूस किया।
इस पिंक बूथ में सभी व्यवस्थाओं के साथ प्रतीक्षा स्थल भी बनाया गया है और मतदान केंद्र के आकर्षक प्रवेश द्वार के साथ ही हर चीज को गुलाबी रंग से रंगा गया है। एक मतदाता तो पिंक बूथ को देखकर कबीर का दोहा "लाली मेरे लाल की, जित देखूं तित लाल। लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल।।" सुनाने से अपने आप को रोक नहीं पाया। यद्यपि कबीर का यह दोहा आध्यात्मिक संदर्भ का है, किंतु इस मतदाता ने आध्यात्मिकता के साथ लौकिकता का अद्भुत समन्वय करते हुये लोकतंत्र के महात्यौहार में इस दोहे को अत्यंत प्रासंगिक बना दिया।
इस पिंक बूथ में जहां भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार हर सुविधा जैसे रैम्प, पेयजल, फर्नीचर, विद्युत, पुरूष और महिला के लिये अलग-अलग शौचालय, छाया, झूलाघर, मेडिकल किट, हेल्प डेस्क, उचित संकेत (साइनेज), भोजन व्यवस्था, मतदाता सहायता पोस्टर व्यवस्था, कतार प्रबंधन और व्यवस्था के लिये वॉलेन्टियर्स की नियुक्ति आदि सुविधायें सुनिश्चित की गई, वहीं समाज के प्रत्येक मतदाता ने यहां आकर जवाबदेह व सक्षम प्रतिनिधि चुनने में स्वयं को गौरवान्वित व प्रसन्नचित महसूस किया।
इस पिंक बूथ में सभी व्यवस्थाओं के साथ प्रतीक्षा स्थल भी बनाया गया है और मतदान केंद्र के आकर्षक प्रवेश द्वार के साथ ही हर चीज को गुलाबी रंग से रंगा गया है। एक मतदाता तो पिंक बूथ को देखकर कबीर का दोहा "लाली मेरे लाल की, जित देखूं तित लाल। लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल।।" सुनाने से अपने आप को रोक नहीं पाया। यद्यपि कबीर का यह दोहा आध्यात्मिक संदर्भ का है, किंतु इस मतदाता ने आध्यात्मिकता के साथ लौकिकता का अद्भुत समन्वय करते हुये लोकतंत्र के महात्यौहार में इस दोहे को अत्यंत प्रासंगिक बना दिया।