कभी खुद का भी दौरा किया कीजिए
कभी खुद का भी दौरा किया कीजिए
जो जहर है निगाहों में पिया कीजिए
झूठी सूरत,झूठी सीरत और झूठा संसार
सच के खिलने का आश्वासन भी दिया कीजिए
हँसी मतलबी,आँसू नकली,बेमानी सब बातें
ज़ुबाँ ही नहीं,तासीर को भी सिया कीजिए
हवा में सारे वायदे,बेशक़्ल सारी तस्वीरें
हिसाब को कभी तो कुछ लिख लिया कीजिए
अपनी जात,अपनी बिरादरी,अपना महकमा
बेवज़ह कुछ दूसरों के लिए भी किया कीजिए
- सलिल सरोज
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