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मैं मदहोश न हो जाती क्यों-कर

न जाने किनका ख्याल आ गया

रूखे-रौशन पे जमाल* आ गया


जो झटक दिया इन जुल्फों को

ज़माने भर का सवाल आ गया


मैं मदहोश न हो जाती क्यों-कर

खुशबू बिखेरता रूमाल आ गया


मैं मिट जाऊँगी अपने दिलबर पे

बदन तोड़ता जालिम साल आ गया


मेरे हर अंग पे है नाम उसकी का

यूँ ही नहीं हुश्न में कमाल आ गया


* जमाल -सुंदरता


                           - सलिल सरोज


Hindi, Shayari, Ghazal, Love, Romance, Sweet Memory, Feeling Sad