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हमारा नाम आएगा तुम्हारे नाम से पहले



हमारा नाम आएगा तुम्हारे नाम से पहले
हुई है मौत क़ासिद की अगर पैग़ाम से पहले


कोई मुजरिम भी कर सकता है अपने जुर्म से तौबा
फ़क़त वो जाँच ले हर जुर्म को अंजाम से पहले


वहाँ के लोग तो दहशत के मारे होंगे ही साहिब
मुक़र्रर हो जहां भारी सज़ा इनआम से पहले


ज़रूरत जब तलक़ पूरी न कर पाऊंगा बच्चों की
भला कैसे मैं घर पर लौट जाऊँ शाम से पहले


ख़ुमारी में कहाँ होती बसर फिर क्या पता यारो
बहुत तुम याद आते हो मगर दो जाम से पहले


रचनाकार
बलजीत सिंह बेनाम