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अलग जो भीड़ से हटकर जगह अपनी बनाते हैं



अलग जो भीड़ से हटकर जगह अपनी बनाते हैं
सितारों की तरह से वो जहां में जगमगाते हैं


सफ़र की मुश्किलों का दौर होता है बड़ा प्यारा
मगर कायर यहाँ आधे सफ़र से लौट जाते हैं


अगर आ जाएँ ऐसे लोग तो तहज़ीब से मिलना
हथेली पर कहाँ सब लोग ही सरसों उगाते हैं


जिन्हें फूलों के जैसे रखते हैं हम हर मुसीबत में
हमारी राह में अक्सर वही काँटे बिछाते हैं


न उठ जाए कहीं  इस कशमकश में राज़ से पर्दा
कभी वो आज़माते हैं कभी हम आज़माते हैं




                             -  बलजीत सिंह बेनाम


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