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संयुक्त भारत-एनडीबी कार्यशाला का आयोजन

New Delhi: भारतीय निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के साथ नए न्‍यू डेवल्‍पमेंट बैंक (एनडीबी) की भागीदारी बढ़ाने के बारे में आज एक दिवसीय संयुक्त भारत-एनडीबी कार्यशाला का आयोजन किया गया। एनडीबी विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका द्वारा स्थापित पहला बहुपक्षीय विकास बैंक है। इस बैंक का उद्देश्‍य ब्रिक्स और अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा और सतत विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाना है। भारत इस बैंक का संस्थापक सदस्य है और इसके पास बैंक की 20% हिस्सेदारी है। बैंक का मुख्यालय शंघाई में है। Bharat NDB Workshop 2019

अभी तक भारत का इस बैंक का स्वीकृत ऋण अनुपात 28% है, जो ब्रिक्स देशों में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा ऋण अनुपात है। मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और असम जैसे राज्य बैंक से धन प्राप्त कर रहे हैं। एनडीबीअब भारत में अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी अपने कार्य का विस्तार करने का इच्‍छुक है। बैंक भारत में निजी क्षेत्र को भी ऋण देने के लिए भी तत्पर है।

इस कार्यशाला का आयोजन एनडीबी और भारत सरकार के वित्‍त मंत्रालयके आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए)द्वारा किया गया था। इस कार्यशाला की सह-अध्यक्षता आर्थिक मामलों के विभाग में अतिरक्ति सचिव श्री के राजारमन ने की।

उन्होंने एनडीबी के लचीले व्यापार दृष्टिकोण और ऋण प्रोसेसिंग में तेजी की सराहना करते हुए कहा कि अगले पाँच वर्षों में भारत को बुनियादी ढांचा क्षेत्र में लगभग 1.30 ट्रिलियन अमरीकी डालर के निवेश की आवश्यकता होगी। जिसके लिए धन के नवीन स्रोतों की जरूरत होगी। एनडीबी इस वित्तीय जरूरत को पूरा करने में योगदान दे सकता है। उन्होंने बताया कि एनडीबी का उद्देश्य अपने सदस्य देशों को स्थानीय मुद्रा में धन उपलब्‍ध कराना है उन्‍होंन आशा व्यक्त की कि एनडीबी जल्द ही भारत को रुपये में धन उपलब्‍ध कराएगा।

एनडीबीकेउपाध्‍यक्ष और मुख्‍य परिचालन अधिकारी श्री जियान झू ने बैंक के समग्र कार्यों का आकलन तथा भारत में इसके संचालन के बारे में जानकरी दी। उन्होंने बताया कि एए + की अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग बैंक की मजबूत बढ़ोतरी और वित्तीय स्थिति को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि एनडीबी का उद्देश्य भारतीय सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए नवीन साधनों जैसे स्थानीय मुद्रा, गारंटी, ऋण वृद्धि और इक्विटी निवेश में सहायता प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियां एनडीबी वित्त पोषित परियोजनाओं में कॉनट्रेक्‍टर के रूप में भी भाग ले सकती हैं और परियोजना तकनीकी सहायता के तहत परामर्श सेवाएं उपलब्‍ध कराने में भी योगदान दे सकती हैं। Bharat NDB Workshop 2019

कार्यशाला का एनडीबी के संचालन, गैर-संप्रभु ऋण नीति और एनडीबी वित्तपोषित परियोजनाओं के तहत खरीददारी अवसरों का अवलोकन करने वाले एक पूर्ण सत्र के साथ समापन हुआ। प्रतिभागियों के साथ एक इंटरैक्टिव प्रश्‍नोत्‍तर  सत्र का भी आयोजन हुआ और भारत में संभावित व्‍यापार अवसरों के बारे में  एनडीबी अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श भी हुआ।

Bharat NDB Workshop 2019