पुस्तक परिचय सूर्यांजलि
सूर्यांजलि मानवीय भावनाओं, सामाजिक समस्याओं, रिश्तो की सार्थकता, और देशभक्ति की कविताओं से ओतप्रोत 100 कविताओं का संग्रह है, यह निश्चय ही अंदर से छू जाने वाली काव्य अभिव्यक्ति है। इस पुस्तक की लेखिका गीतांजलि वार्ष्णेय हाथरस में जन्मी और पली बढ़ी हैं। गीतांजलि को साहित्य के प्रति रूचि जैसे एक पैतृक संपदा के रूप में मिला है क्योंकि अगर आप उनका परिवार देखें तो परिवार के सभी लोग अच्छे पढ़े-लिखे है उनके पिता स्वर्गीय श्री सूरजभान वार्ष्णेय रसायन विज्ञान के प्रवक्ता रहे उनकी मां श्रीमती विद्या देवी एम ए अर्थशास्त्र, तथा उनके पांचो भाई भी अच्छे पढ़े-लिखे हैं।
अपनी पुस्तक सूर्यांजलि के बारे में गीतांजलि वार्ष्णेय बताती हैं, कि यह पुस्तक उनके पिता श्री सूरजभान वार्ष्णेय को समर्पित है इस पुस्तक में उन्होंने कविता के अलग-अलग भावों का समावेश किया है जिसमें देश भक्ति, प्रेम और सौंदर्य जैसे विषयों को संकलित किया है साथ ही साथ उन्होंने इसमें सामाजिक जीवन को भी दर्शाया है 100 कविताओं का यह संग्रह जीवन के सभी आयामों को छूती है।
“जीवन चलने का नाम है, चलते ही जाना है।”
“कोशिश करते रहो, क्योंकि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।”
“मेरी प्रथम कृति #सूर्यांजलि आप लोगो के समक्ष अवलोकन के लिए प्रस्तुत है।
लेखिका गीतांजली वार्ष्णेय
यह पुस्तक काव्य आधारितहै। यह पुस्तक मेरे पिता स्व. श्री सूरजभान वार्ष्णेय जो खुद रसायन प्रवक्ता के साथ साथ लेखक भी थे। मेरी कवितायेँ उन्हीं के संस्कारों की परिणीति है। मैं सादर पिता के चरणों में अर्पित करती हूँ।