Top Story

इन शहरों का एक रास्ता गांव को भी खुलना चाहिए




इन शहरों का एक रास्ता गांव को भी खुलना चाहिए
बहुत बीमार है ये, इसका हवा-पानी बदलना चाहिए





इतनी तेज़ ज़िन्दगी कि जीने को साँसें कम पड़ जाए
ज़िंदा रहने को इसे कुछ आवारा पल मिलना चाहिए





धूप तरसती रहती है किसी गोरी के दीदार करने को
हर छत के  ऊपर ही अब एक सूरज खिलना चाहिए  





कोई किसी को जानता नहीं,किस तरह का रिवाज़ है
हर महीने यहाँ कोई पर्व, कोई त्योहार मनना  चाहिए  





सारे बदन पर कालिख की चादर ओढ़ रखी  हो जैसे
किसी रोज़  इसे चन्दन और हल्दी  भी मलना चाहिए  





- सलिल सरोज