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स्टील के उत्पादन की चुनौतियों को स्वीकारें व्यवसायी - इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान


पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने तिरुवनंतपुरम में भारतीय धातु संस्थान के 57वें राष्ट्रीय धातु विज्ञान दिवस समारोह और उसकी 73वीं वार्षिक तकनीकी बैठक में भाग लिया। श्री प्रधान ने इस अवसर पर राष्ट्रीय धातु विज्ञान दिवस पुरस्कार और भारतीय धातु संस्थान पुरस्कार भी प्रदान किए। Dharmendra Pradhan Thiruvananthapuram





इस अवसर पर श्री प्रधान ने समारोह में शामिल प्रतिनिधियों से अपील की कि वे अधिक आत्मनिर्भरता के लिए उच्च स्तर के स्टील के उत्पादन की चुनौतियों को गले लगाएं। उन्होंने उन्हें स्टील क्षेत्र में अधिक निरंतरता की दिशा में कार्य करने और भारतीय हरित अर्थव्यवस्था के मॉडल का सृजन करने की दिशा में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। स्टील के महत्व के बारे में श्री प्रधान ने कहा, “स्टील सहित धातु आधुनिक अर्थव्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना जारी रखेंगे। स्टील के इस्तेमाल और देश की आर्थिक वृद्धि के बीच मजबूत सकारात्मक पारस्पारिक संबंध है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते में तेजी से बढ़ रहा है। सपना एक सामूहिक प्रयास होगा। हम सभी को इस स्वप्न को हकीकत में बदलने के लिए एक इस्पातीइराडा के साथ मिलकर काम करना होगा।”





भविष्य की तैयारी के बारे में श्री प्रधान ने कहा, “हम डिजिटलीकरण, स्वचालित यंत्र, बड़े आंकड़ों, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और इंटरनेट द्वारा चालित औद्योगिक क्रांति 4.0 के बीच हैं। इससे हमारे रहने और कार्य करने के तरीके मूल रूप से बदलेंगे। स्टील क्षेत्र को बहुत बड़ा परिवर्तन हासिल करने के लिए भी इन परिवर्तनों और प्रभाव डालने वाले नवोन्मेष को गले लगाने के लिए भविष्य में तैयार रहना चाहिए।” उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट कर में कटौती करने के फैसले और वर्तमान स्वरूप में आरसीईपी का विकल्प अपनाने का अर्थव्यवस्था के सभी साझेदारों ने स्वागत किया है।





नए भारत के निर्माण के बारे में उन्होंने कहा, “ माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नए भारत कल्पना को साकार करने में स्टील क्षेत्र की एक प्रमुख भूमिका है। सरकार का मुख्य ध्यान विकास के पथ पर है, जिसमें भविष्य के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण, स्मार्ट शहरों, औद्योगिक गलियारों का गठन शामिल है और इसी तरह के अन्य मार्ग स्टील के उपभोग को बढ़ाएंगे।” उन्होंने कहा कि उद्योग की उद्यम संबंधी भावना और सरकार द्वारा किए गए नीतिगत उपाय के कारण भारतीय इस्पात उद्योग अधिक गतिशील, प्रतिस्पर्धी और पर्यावरण के अनुकूल बन गया है। Dharmendra Pradhan Thiruvananthapuram