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तेरे होंठों पर कहानी और कुछ


तेरे होंठों पर कहानी और कुछ
कह रहा आँखों का पानी और कुछ





हम दिखाते हैं ज़माने को अलग
जी रहे हैं ज़िंदगानी और कुछ





ज़हन में तो यादें माज़ी की मगर
रस्म दुनिया की निभानी और कुछ





जंग ज़ारी इन उसूलों की मियाँ
जब तलक़ ख़ूँ में रवानी और कुछ





हिज्र के कुछ ज़ख्म ताज़ा हैं अभी
प्यास अश्कों से निभानी और कुछ





बलजीत सिंह बेनाम
पुरानी कचहरी कॉलोनी, हाँसी