एकलव्य विद्यालय में बदहाल हो रही व्यवस्थाएं
जुन्नारदेव: आदिवासी विधानसभा क्षेत्र में प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा आदिवासियों के सतत उत्थान और विकास की संकल्पना के तहत वर्षों पूर्व एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की स्थापना की गई थी, पर प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की इन भावनाओं के साथ लगातार एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के प्रबंधन के द्वारा लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है। इस क्षेत्र के आदिवासी निश्चित रूप से जहां एक ओर आर्थिक रूप से बदहाल और पिछड़े नजर आते हैं, लेकिन वही उनका अकादमिक और खेल कौशल में उनका दबदबा सदैव रहा है। एकलव्य आदर्श आवासीय परिसर में बीते कई दिनों से आदिवासी बच्चों की इन भावनाओं का लगातार शोषण होता दिखाई दे रहा है। यहां पर प्राचार्य सहित प्रबंधन के द्वारा लगातार उनकी भावनाओं का दमन और प्रतिभा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। एकलव्य सोसाइटी के द्वारा संचालित किया जाने वाला यह विद्यालय में बालक एवं बालिका छात्रावास की पृथक व्यवस्था बनाई गई है। जिसका संचालन प्राचार्य एवं प्रबंधन के संरक्षण में किया जाता है। यहां पर आदिवासी बच्चों के रहन सहन और जीवन स्तर को उठाने के उद्देश्य से बनाए गए बालक एवं बालिका छात्रावास में अधीक्षकों की नियुक्ति भी उन्हीं के आदिवासी वर्ग से किया जाना सुनिश्चित किया गया है।
इस संदर्भ में एकलव्य सोसाइटी सहित शासन के विभिन्न नियम, परंपराएं और मर्यादाये इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। लेकिन यहां के प्राचार्य के द्वारा मनमानी करते हुए आदिवासी अधीक्षक के स्थान पर एक सवर्ण वर्ग के शिक्षक को अन्यत्र स्कूल से संलग्नीकरण कर प्रभार सौंपा गया है, जिसके चलते आदिवासी वर्ग के यह छात्रगण अपना मर्म, दर्द और भावनाओं का प्रकटीकरण करने में असुविधा महसूस करते नजर आ रहे हैं। इसके अलावा अपने मातहत इस कर्मचारी की नियुक्ति का महत्वपूर्ण मकसद इस छात्रावास में शासन के द्वारा दी जाने वाली आर्थिक राशियों का मन मुताबिक प्रयोग करना भी प्रमुख ध्येय रहा है।
वर्तमान में पदस्थ यह आदिवासी बालक छात्रावास के अधीक्षक के द्वारा अपने इस प्राचार्यरूपी आका की हर तरह से सेवा की जाती रही है। प्राचार्य और अधीक्षक के बीच के इसी महत्वपूर्ण तालमेल का ही नतीजा है कि इस एकलव्य विद्यालय में व्यवस्थाएं बदहाल होकर तार-तार हो चुकी है। आदिवासी छात्रों के हितों को लगातार नजरअंदाज कर उनकी प्रतिभा के साथ भी न्याय नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण इस वर्ग के पालकों में खासा रोष है।
चहेते शिक्षक को अधीक्षक पद की अहम जिम्मेदारी सौंप दी
इस विद्यालय में अपने उच्चाधिकारियों की सेवा कर वर्तमान प्राचार्य के द्वारा अपने एक चहेते शिक्षक का अन्यत्र स्थान से संलग्नीकरण कर उसे अधीक्षक पद की अहम जिम्मेदारी सौंप दी गई है। गौरतलब है कि इस आदिवासी छात्रावास के अधीक्षक पद पर उनकी भावनाओं, दर्द और मर्म को समझने वाला आदिवासी वर्ग से ही अधीक्षक होना चाहिए, लेकिन प्राचार्य के द्वारा उन नियमों का लगातार उल्लंघन करते हुए अपने हितों की स्वार्थ सिद्धि की जा रही है।
विधायक सुनील उईके से आदिवासियों की हस्तक्षेप की मांग
इस क्षेत्र के आदिवासियों के हितों के लिए सतत संघर्षरत तथा युवा ऊर्जावान विधायक सुनील उईके से आदिवासी छात्रावास में अध्यनरत छात्रों के बालकों ने आदिवासी अस्मिता के तहत उनसे सीधे हस्तक्षेप की मांग रखी है। यहां पदस्थ प्राचार्य की विवादित कार्यप्रणाली और मनमानी के खिलाफ लामबंद होकर इन आदिवासियों के द्वारा सामान्य वर्ग के अधीक्षक को तत्काल हटाकर आदिवासी वर्ग से ही अधीक्षक की नियुक्ति की मांग विधायक उइके के समक्ष रखी गई है। यहां के आदिवासियों का यह मानना है कि विधायक सुनील उइके सदैव ही आदिवासी हितों के लिए अपनी नेतृत्व क्षमता और संघर्षशीलता के लिए जाने जाते हैं। इसीलिए उनसे इस मामले में जल्द ही स्पष्ट निर्णय की अपेक्षा है।