निजी क्षेत्रों में रेशम उत्पादन को बढ़ावा - ई-रेशम पोर्टल शुरू
निजी क्षेत्र में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये ‘ई-रेशम’ पोर्टल शुरू किया गया । इसके माध्यम से मलबरी हितग्राहियों के चयन, पंजीकरण और भुगतान प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया। चयनित कृषकों को अनुबंध के प्रावधानों के अनुसार पौध-रोपण, कृमि पालन, भवन निर्माण और सिंचाई संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए पोर्टल पर भुगतान आदेश की व्यवस्था भी की गई।
छिंदवाड़ा में बनेगा रेशमी धागा
छिंदवाडा और इंदौर में उन्नत किस्म के धागे तैयार करने के लिये उपकरण स्थापित किये गये। नरसिंहपुर और बैतूल जिले में रेशम धागाकरण की ऑटोमैटिक रीलिंग मशीन स्थापना की कार्यवाही की गई। किसानों से खरीदे जाने वाले रेशम ककून का समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया। किसानों की भूमि पर 180 एकड़ मलबरी पौध-रोपण का कार्य किया गया। एक वर्ष में 256 लाख रुपये मूल्य के ककून, धागा और रेशम वस्त्रों का विक्रय किया गया।
रेशम गतिविधियों में तेजी से 10 हजार से अधिक हितग्राही लाभान्वित हुए। मात्र एक साल में 7.166 लाख किलो मलबरी ककून और 74 लाख 26 हजार टसर कोया का उत्पादन हुआ। इस दौरान माटी कला शिल्पियों को भी पुरस्कृत किया जाना शुरू किया गया।