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जानें, क्यों सैफ अली खान और अमृता सिंह के अलग होने का फैसला था सही

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सैफ अली खान और अमृता सिंह को अलग हुए कई साल हो चुके हैं, लेकिन इनकी लव स्टोरी आज भी लोगों के जहन में जिंदा है। उम्र में खुद से बड़ी ऐक्ट्रेस से सैफ का शादी का फैसला सुन कई लोग हैरान हुए थे, लेकिन दोनों ने साथ में लंबी हैपी मैरिड लाइफ जी। जब बारी अलग होने की आई तब तक इनके रिश्ते में काफी कुछ बदल चुका था। कपल की बेटी ने एक इंटरव्यू में खुद इस बारे में बात करते हुए बताया था कि क्यों वह अपने पैरंट्स के अलग होने के बाद ज्यादा खुश हुईं। उन्होंने जो बातें कहीं, वह शायद दूसरे कपल्स को भी जानना चाहिए।

इंटरव्यू में कही थी दिल की बात

सारा अली खान ने इंटरव्यू में बताया था कि वह इस बात से खुश हैं कि उनके माता-पिता ने अलग होने का निर्णय लिया। ऐक्ट्रेस का कहना था कि एक घर में रहते हुए दुखी और झगड़े करते हुए रहने से अच्छा है कि अलग रहा जाए। उन्होंने बताया था कि तलाक के बाद सैफ और अमृता दोनों ज्यादा खुशी से जी रहे हैं और इस वजह से उन्हें भी अपने पैरंट्स के बीच ज्यादा खुशी और सुकून मिलता है। चलिए जानते हैं क्यों कभी-कभी अलग होना ही होता है बेस्ट डिसिजन

कपल रहते हैं ज्यादा खुश
जिस तरह से सारा अली खान ने बताया था कि तलाक के बाद सैफ और अमृता ज्यादा खुशी से रह रहे हैं, वैसा ही उन सभी कपल्स के साथ हो सकता है, जिनके रिश्ते में रोज झगड़ों के सिवाए कुछ नहीं बचा है। रिश्ते में जब प्यार और स्नेह खत्म हो जाए, तो वह बोझ के सिवाए कुछ नहीं रह जाता। ऐसे रिश्ते को सिर्फ समाज और रिश्तेदार क्या सोचेंगे? इसके डर से चलाते रहना खुद के लिए जिंदगीभर के टॉर्चर को न्योता देने जैसा है।

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सैफ अली खान-अमृता सिंह

बच्चों के लिए बेहतर
अगर आपको लगता है कि आप दोनों भले ही झगड़ा करते रहें, लेकिन कम से कम बच्चों के खातिर साथ रहें, तो यकीन मानिए आप गलत हैं। आपके रोज के झगड़े बच्चों पर काफी ज्यादा नेगेटिव असर डालते हैं। खासतौर से यह उनकी पर्सनैलिटी को काफी प्रभावित करता है। वे ज्यादा आक्रामक या फिर डिप्रेशन जैसी बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं। बच्चों की इमोशनल हेल्थ के लिए यही अच्छा है कि आप दोनों भले ही अलग रहें, लेकिन उन्हें खुशी और प्यार से भरा माहौल दें।

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जिंदगीभर की कड़वाहट
कपल में आपस में नहीं बनती हो और वह दबाव के कारण साथ में रह रहा हो, तो उनके बीच ऐसी कड़वाहट आ जाती है, जिसका दूर होना मुश्किल हो जाता है। यह कभी-कभी अग्रेसिव रूप भी ले लेता है। वहीं अगर सही समय पर कपल को यह अहसास हो जाए कि उनके लिए अलग होना ही अच्छा है, तो कम से कम दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता बना रह सकता है।

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बच्चों से दूरी
रोज के झगड़ों और नेगेटिव थॉट्स के कारण अक्सर कपल बच्चों की खुशी को भूल जाता है। उनकी नेगेटिविटी का असर धीरे-धीरे बच्चों पर भी पड़ना शुरू हो जाता है। ऐसे माहौल के कारण वे अपने माता-पिता से इमोशनली दूर होने लगते हैं। खासतौर से बड़े होने व जॉब लग जाने पर वे अलग रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं। ऐसी स्थिति न आए, इसलिए बेहतर है कि ऐसा फैसला लें जो बच्चों के साथ बने बॉन्ड को तोड़ ने दे।