CHHINDWARA: देवगढ़ की ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजा जा रहा है
छिन्दवाड़ा: छिंदवाड़ा ज़िले से लगभग 40 किलोमीटर दूर मोहखेड़ विकासखंड के देवगढ़ गाँव में सुरम्य पहाड़ियों में देवगढ़ का किला स्थित है। मध्य भारत में गोंडवाना साम्राज्य के वैभव और समृध्दि से जुडा इसका इतिहास आज भी अपनी गौरवशाली विरासत को बयान करता है। यहां तत्कालीन परिस्थिति अनुसार जल संरक्षण की अनेक संरचनायें देखने को मिलती है, लेकिन समय के दौर के साथ ये जल संरचनायें जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। कलेक्टर श्री सौरभ कुमार सुमन और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री गजेंद्र सिंह नागेश के मार्गनिर्देशन में एकीकृत जल ग्रहण प्रबंधन मिशन और मनरेगा के अंतर्गत इन जल संरचनाओं का जीर्णोध्दार कर उन्हें मूल स्वरूप में ही नया रूप प्रदान करने की कार्ययोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
नवाचार के अंतर्गत इस कार्ययोजना के पूर्ण होने से जहां देवगढ़ की ऐतिहासिक बावलियों का जीर्णोध्दार होगा, वहीं ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने और जल संरक्षण का कार्य हो सकेगा। परियोजना अधिकारी एकीकृत जल ग्रहण प्रबंधन मिशन सुश्री नीलू चौबितकर द्वारा जानकारी दी गई है कि देवगढ़ का किला व उसके आसपास 900 बावली और 800 कुयें है जिन्हें तत्कालीन शासकों ने बनवायें थे।
अभी तक 46 बावलियों और 12 कुओं की खोज की जा चुकी है। निर्धारित कार्ययोजना में मनरेगा के अंतर्गत प्रथम चरण में 29.18 लाख रूपये की लागत से 7 बावलियों का जीर्णोध्दार कार्य किया जा रहा है तथा व्दितीय चरण में 79.35 लाख रूपये की लागत से 14 बावलियों का जीर्णोध्दार कार्य किया जायेगा । इस कार्य से जहां मनरेगा के अंतर्गत मजदूरों को कार्य मिल रहा है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है, वहीं देवगढ़ की जल संरचनायें सुधरने से इस क्षेत्र में जल संरक्षण की दिशा में एक उल्लेखनीय कार्य होगा जिससे भविष्य में खेती करने में मदद मिलेगी और पीने के लिये भी पानी की उपलब्धता रहेगी ।