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संजय दत्त के नाम मां नरगिस दत्त का वो आखिरी पैगाम, जो सभी को बहुत कुछ सिखा सकता है

नरगिस दत्त एक ऐसा नाम है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। यह अदाकारा न सिर्फ बॉलिवुल लेजंड बल्कि एक ऐसी इंसान थीं, जिनकी व्यक्तित्व से दूसरे भी सीख लेते थे। बीमारी के चलते जब नरगिस दुनिया को अलविदा कह गईं, तो उससे पहले वह अपने बेटे संजय दत्त के नाम आखिरी पैगाम भी छोड़ गईं, जिसमें उन्होंने उन बातों की सीख दी, जो एक अच्छा इंसान बनने के लिए बेहद जरूरी हैं। चलिए जानते हैं इन बातों के बारे में: विनम्रता
नरगिस ने संजय को ‘हमेशा विनम्र बने रहने’ के लिए कहा। ऐसे लोग जो भले ही सफल हों, लेकिन उनमें विनम्रता न हो, तो उनके आस-पास शुभचिंतक कम हो जाते हैं। जब ऐसा होता है, तब व्यक्ति की जिंदगी में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ जाती है, जो उसके लिए बुरा चाहते हैं। इस नेगेटिव छवि की वजह से व्यक्ति जब मुश्किल समय में फंसता है, तो उसे सहारा देने वाला भी कोई नहीं रह जाता। शो-ऑफ न करना और सादगी से जीनासफल होने का यह बिल्कुल भी अर्थ नहीं है कि शो-ऑफ करें। ऐसा करने पर दूसरे लोग चिढ़ने लग जाते हैं और दूरी बनाना शुरू कर देते हैं। दोस्त और चाहने वाले तक पर्सनैलिटी के इस दोष के कारण ज्यादा दिन तक व्यक्ति के साथ नहीं टिकते। परिवार वाले तक इस तरह के इंसान को अवॉइड करना ही बेहतर समझते हैं। वहीं सादगी से जीवन जीने पर व्यक्ति हमेशा अपनों के दिल में जगह बनाए रखता है। यह उसे प्यार के साथ ही सम्मान भी दिलाता है, जिससे उसका जीवन खुशी से भरा रहता है। बड़ों का सम्मान
भारत में हर घर में बच्चों को बड़ों का सम्मान करना सिखाया जाता है। चाहे व्यक्ति अमीर हो या फिर गरीब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अगर वह उम्र में बड़ा है, तो उससे सम्मान से ही पेश आया जाना चाहिए। नरगिस की सिखाई हर बात में से इस बात पर भी संजय दत्त हमेशा अमल करते हैं। यंग ऐज में भले ही उन्हें रिबेल कहा जाता था, लेकिन मां के मेसेज को सुनने के बाद में वह इतना बदल गए कि बड़े क्या बल्कि वह तो अपने से उम्र में छोटे व्यक्ति के साथ भी स्नेह और सम्मान से पेश आते हैं। चरित्र बनाए रखना
चरित्र ऐसी चीज है, जिस पर एक बार उंगली उठी, तो उसका खामियाजा जिंदगीभर भुगतना पड़ सकता है। जरूरी है कि ऐसा कोई काम न किया जाए, जिससे इस पर सवाल उठे। अगर कोई इसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे, तो उस स्थिति में व्यक्ति को इसे बचाने के लिए हर संभव चीज करना चाहिए। कैरेक्टर ही व्यक्ति की असली पहचान होता है, इसे खोना उसके जीवन को ही खोखला बना सकता है।