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दो नासमझ व्यक्तियों की दोस्ती हो जाए तो ये होता है, सफल जीवन की कुंजी का राज छिपा है चाणक्य की इस नीति में

Chanakya Niti - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti – चाणक्य नीति,

आचार्य चाणक्य ने जिंदगी को लेकर कई नीतियां और अनुमोल विचार दिए हैं। इन अनुमोल विचारों और नीतियों पर जो भी चला है वो उसे जीवन में मुश्किलों का सामने किस तरह से करे इसकी सही दिशा मिलती है। इसके साथ ही वो मुश्किल घड़ी का किस तरह डटकर सामना करे इसकी भी सीख मिलती है। आचार्य चाणक्य के इन विचारों में से ही आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार कच्चा पात्र कच्चे पात्र से टकराकर टूट जाता है, इस पर आधारित है। 

“कच्चा पात्र कच्चे पात्र से टकराकर टूट जाता है।” आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि कच्चा पात्र कच्चे पात्र से टकराकर टूट जाता है। इस लाइन का मतलब है जब दो कमजोर व्यक्ति एक दूसरे से लड़ते हैं तो दोनों का टूटना निश्चित है। ऐसा इसलिए क्योंकि सिर्फ दो व्यक्ति शारीरिक तौर पर ही एक दूसरे से नहीं लड़ते। वो मानसिक के साथ-साथ विचारों से भी एक दूसरे के साथ लड़ते हैं। ऐसे में अगर दोनों ही व्यक्ति अगर शारीरिक के अलावा मानसिक रूप से भी कमजोर होंगे तो दोनों का हारना निश्चित है। 

कई बार ऐसा होता है कि दो कमजोर व्यक्ति एक दूसरे का सहारा बन जाते हैं। दोनों को ऐसा लगता है कि समय आने पर ये दोनों एक दूसरे का साथ देंगे। लेकिन कई बार दोनों की एक दूसरे की सहारा बनने की कोशिश कई मौकों पर दोनों को ही डुबा देती है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति किसी फैसले को लेने में असमर्थ हैं। ऐसे में वो अगर उस व्यक्ति से परामर्थ लेने गया हो जो खुद भी फैसला करने में दुर्बल हो। तो ऐसे में दोनों का लिया गया फैसला कमजोर ही होगा। ऐसा नासमझ व्यक्ति न तो खुद किसी कार्य को ठीक तरह से कर पाएगा और न ही किसी दूसरे की सहायता कर पाएगा। इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि एक कच्चा पात्र दूसरे कच्चे पात्र से टकराकर टूट ही जाता है। 

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