परंपरागत खेती के बजाय आधुनिक खेती पर जोर देंगे किसान
Publish Date: | Sun, 09 Aug 2020 04:04 AM (IST)
चंदनगांव में मोती की खेती को लेकर हो रहा काम
छिंदवाड़ा। परंपरागत खेती के बजाय अब जिले के किसान आधुनिक खेती पर जोर दे रहे हैं, काजू, फूल के बाद अब किसान मोती की खेती भी कर सकेंगे, मोती की खेती की खासियत ये है कि इसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है, एक मोती के लिए लागत 40 रुपये लगती है, लेकिन आय 100 से 15 सौ रुपये तक हो सकती है, यही नहीं विदेश में भी मोती की खासी डिमांड है। जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के तहत कृषि विज्ञान केंद्र चंदनगांव में वरिष्ठ वैज्ञानिक और डॉ सुरेंद्र पन्नानासे के मार्गदर्शन में मोती की खेती की जा रही है। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से केंद्र में पदस्थ चंचल भार्गव कार्यक्रम सहायक द्वारा परियोजना प्राप्त की गई है। जिसके तहत श्रीमति भार्गव ने बताया कि जिले में किसान सभी प्रकार की खेती करते हैं, लेकिन मोती की खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है। अभी तक ओडीसा के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर में मोती की खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है।
ऐसे होती है खेती
मोती की खेती के लिए सबसे अनुकूल मौसम शरद ऋतु यानि अक्टूबर से दिसंबर तक का समय माना जाता है। कम से कम 50 बाई 70बाई 12 फीट या बड़े आकार के ताालाब में अधिकतम 15 हजार सीप से मोती उत्पादन किया जा सकता है। मोती संवर्धन के लिए .4 हेक्टैयर के तालाब में उपादन किया जा सकता है। किसान को पहले तालाब नदी आदि से सीपों को इकट्ठा करना होता है। या फिर इन्हें खरदी भी सकते हैं इसके बाद प्रत्येके सीप में छोटठी सी शल्य क्रिया के बाद इसके भीतर चार से 6 मिमी व्यास वाले साधारण गोल या डिजाइनदार बीड़ जैसे गणेश बुद्ध पुष्प आकृति डाली जाती है। फिर सीप को बंद किया जाता है। इन सीपों को नॉयलान बैग में रखकर बांस के सहारे लटका दिया जाता है, तालाब में एक मीटर की गहराई पर छोड दिया जाता है। प्रति हेक्टेयर 20 हजार से 30 हजार सीप की दर से इनका पालन किया जाता है। अंदर से निकलने वाले पदार्थ बीड के चारों ओर जमने लगते हैं जो बाद में मोती का रूप ले लेते हैं। 8 से 10 माह बाद सीप को चीरकर मोती निकाल लिया जाता है। एक सीप की लागत 35 से 40 रुपये आती है, लेकिन मोती का दाम सौ से 15 सौ रुपये तक होता है। डिजाइनर मोती खासे पसंद किए जा रहे हैं, जिसकी बाजार में डिमांड है, विदेश में भी मोती की डिमांड देखी जा रही है।
Posted By: Nai Dunia News Network
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