मन की आंखों से कर रहे शिक्षा का चिराग रोशन
Publish Date: | Tue, 08 Sep 2020 04:11 AM (IST)
मन की आंखों से कर रहे शिक्षा का चिराग रोशन-000
– कोरोना काल में भी दृष्टिहीन शिक्षक ने नहीं प्रभावित होने दी पढ़ाई
रायसेन। नवदुनिया प्रतिनिधि
बहुत कम लोग होते हैं, जो अपनी कमी को ताकत बना लेते हैं , लेकिन जो लोग अपनी अंतर्निहित शक्तियों को पहचानते हैं, वह दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं। मप्र के रायसेन जिले के शासकीय प्राथमिक स्कूल सांचेत के दृष्टिहीन शिक्षक वीरेंद्र राठौर ऐसी ही मिसाल पेश कर रहे हैं। बधाों को सकारात्मक ढंग से पढ़ाने के कारण वे पूरे गांव में लोकप्रिय हैं। बधो भी अपने शिक्षक से अटूट प्रेम करते हैं। कोरोना संक्रमण काल में भी उन्होंने बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित नहीं होने दिया। हमारा घर हमारा विद्यालय की संकल्पना को साकार करते हुए बधाों से विभिन्न माध्यमों से जुड़े रहे। इस दौरान कई बार गांव में दालान पर बधाों को पढ़ाया तो कभी घर जाकर। कोरोना काल में उन्होंने मोबाइल पर बोलकर, गांव के घरों के आंगन में बधाों को बिठाकर पढ़ाई कराने का क्रम जारी रखा। ग्रामीण भी उनकी इस सकारात्मक पहल की सराहना करते हैं।
14 साल पहले हुए थे पदस्थ
वीरेंद्र जब कक्षा 10 में पढ़ते थे तब उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। कक्षा 9 तक वे एक सामान्य विद्यार्थी की तरह पढ़ते रहे, लेकिन अचानक दिखना बंद हो गया। इसके बाद भी बीए फर्स्ट ईयर तक पढ़ाई पूरी की और शासकीय प्राथमिक शिक्षक बन गए। 14 साल पहले उनकी पदस्थापना सांचेत के प्राथमिक स्कूल में हुई तब से अब तक यहीं बधाों को पढ़ा रहे हैं। परिवार रायसेन में रहता है और वे स्वयं गांव में रहते हैं।
गांव के लोग निभाते हैं जिम्मेदारी
शिक्षक वीरेंद्र से गांव के लोगों का खासा लगाव है और गांव में उन्हें परिवार की तरह स्नेह मिलता है। स्कूल तक लाने और छोड़ने का दायित्व भी गांव के लोग ही पूरा करते हैं। वीरेंद्र के पढ़ाए कई शिष्य उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं, जो उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।
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फोटो कैप्शन
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दृष्टिहीन शिक्षक वीरेंद्र राठौर।
Posted By: Nai Dunia News Network
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