ब्लॉगः हेल्थ पैकेज जान भी बचा सकता है और इकॉनमी को पटरी पर भी ला सकता है
देश के बड़े हिस्से में कोरोना महामारी की दूसरी लहर सूनामी में बदल चुकी है। इस सूनामी की बेकाबू लहरों में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की सांसें उखड़ रही हैं। अनेक राज्यों और शहरों में आम लोग अस्पतालों में बेड, ऑक्सिजन, वेंटिलेटर और दवाइयों की भारी कमी तथा कालाबाजारी से जूझ और दम तोड़ रहे हैं। हर ओर लाचारी, हताशा और घबराहट का माहौल है। आम नागरिक एक बार फिर भारतीय राज्य की अव्यवस्था (डिसफंक्शनल चरित्र) और केंद्र/राज्य सरकारों की नाकामियां, आपराधिक लापरवाही तथा नीतिगत भूलों की कीमत चुकाने पर मजबूर हैं।
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