ग्वालियर सेंट्रल जेल में कैदी ने की जान देने की कोशिश, नींद की 20 गोलियां खाईं
ग्वालियर जेलों में तमाम सुरक्षा के बाद भी ऐसी घटनाएं सामने आ जाती है जो जेल की सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खोल देती हैं। जेल से चाकू, छुरी, मोबाइल और नीशीली चीजों की बरामदगी तो आम बात है। ग्वालियर केंद्रीय जेल में सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए एक कैदी ने खुदकुशी की है। अपहरण और दुष्कर्म के आरोपी ने नींद की बीस गोलियां खाकर जान देने की कोशिश की है। गनीमत यह रही कि समय रहते जेल अधिकारियों को इसकी जानकारी मिल गई और उसे बचा लिया गया है। कैदी को तत्काल जयारोग्य अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। मामले की सूचना पुलिस को भी दी गई है। जानकारी के अनुसार ग्वालियर सेंट्रल जेल में बरूआ थाना रावतपुरा निवासी रवि पुत्र अजमेर सिंह राजपूत सजा काट रहा है। रवि पर अपहरण कर दुष्कर्म का मामला दर्ज था। जिस पर उसे पांच वर्ष के कारावास की सजा मिली थी। उसे भिंड से 8 जुलाई 2017 को केंद्रीय जेल शिफ्ट किया गया था। शनिवार दोपहर वह दवा लेने के लिए जेल में बने अस्पताल में पहुंचा। वहां रखी नींद की दवा लॉरोजीपम की 15 से 20 गोलियां खा लीं। मामले का पता उस समय चला, जब डॉक्टर को वहां दवा नहीं दिखी। इसके बाद रवि को उल्टी होने लगी। पता चलते ही जेल में हड़कंप मच गया। उसके बाद अफसर भी मौके पर पहुंचे। प्राथमिक उपचार के बाद उसे एंबुलेंस की मदद से जेएएच में भर्ती कराया। जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। अभी तक वह बेहोशी की स्थिति में है। मामले की सूचना जेल की तरफ से संबंधित थाना बहोड़ापुर को दे दी गई है। पुलिस ने भी मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। ऐसे में घटना से सवाल उठता है कि बंदी को अस्पताल में किसने जाने दिया। खुलेआम उसे दवा कैसे मिल गई। इस पर जेल प्रबंधन का कहना है, आत्महत्या का प्रयास करने वाले बंदी रवि ने भोपाल में चार माह का पैरामेडिकल कोर्स किया है। इसी वजह से वह जेल के अस्पताल में डॉक्टर की मदद करता था। उसे मालूम था कि कौन सी दवा किस काम की है। इसका उसने गलत फायदा उठाया।
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