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एमपी में शावकों से गुलजार है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, पार्क में 41 शावक

भोपाल देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्यप्रदेश में हैं। लॉकडाउन में बाघों के घर में फिर से बहार आ गई है। नन्हें शावकों से इनका घर गुलजार है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि 2022 में भी टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रहेगा। सबसे ज्यादा में 41 शावक ट्रैप कैमरा में कैद हुए हैं। वन विभाग के अनुसार पूरे प्रदेश में 100 अधिक शावक नजर आए हैं, जिनकी उम्र एक साल से कम है। वन विभाग के अधिकारी एमपी में बाघों के कुनबा बढ़ने से खुश हैं। अधिकारियों का मानना है कि लॉकडाउन की वजह से सभी टाइगर रिजर्व पार्क बंद हैं। इसलिए हमलोग ज्यादा फोकस जानवरों के सरंक्षण पर कर रहे हैं। 

शावकों के इन आंकड़ों से अफसर खुश हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि टाइगर रिजर्व पार्क में पहले से ही बाघों की संख्या अधिक है। क्षमता से अधिक बाघ होने के बाद इनमें क्षेत्रीय संघर्ष बढ़ेंगे। एमपी में बाघों के बीच संघर्ष की खबरें हमेशा सामने आती हैं। एमपी में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पार्क पूरे देश में मशहूर है। यहां बाघों की संख्या सबसे अधिक है। 1968 में नेशनल पार्क घोषित होने के बाद यहां बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं। बाघों की बढ़ती जनसंख्या एक बार फिर से देश के लोगों का ध्यान खींचेंगी। एक अधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पार्क में क्षमता से अधिक बाघ हैं। 


नए ठिकानों की तलाश में पुराने बाघ बांधवगढ़ से बाहर जा रहे हैं और पलायन को रोका नहीं जा सकता है। इनके लिए आरक्षित क्षेत्र का विस्तार करना ही एक मात्र विकल्प है। एमपी के अधिकांश टाइगर रिजर्व में क्षमता से अधिक बाघ हैं। 25 से ज्यादा बाघ संरक्षित क्षेत्रों से बाहर चले गए। उसके बाद शिकारियों और ग्रामीणों की तरफ से बिछाए गए बिजली के तारों में फंस गए। बीते चार सालों में इस तरह 47 बाघों की मौत हुई है। पिछली बार जारी आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में 526 बाघ थे। वहीं, कर्नाटक में 524 बाघ थे। बाघों की बढ़ती आबादी को देखते हुए विशेषज्ञों ने अगाह किया है कि बाघों के बीच लड़ाई और बढ़ेगी।



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