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गाजा में मानवाधिकार उल्‍लंघन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र में प्रस्‍ताव, भारत ने वोटिंग से खुद को रखा अलग

नई दिल्ली गाजा में के बीच हाल में 11 दिन तक संघर्ष चला। इस दौरान कथित उल्लंघनों और अपराधों की जांच शुरू करने के (UNHRC) के प्रस्ताव पर वोट डालने से भारत समेत 14 देश अनुपस्थित रहे। के जेनेवा स्थित मुख्यालय में गुरुवार को विशेष सत्र बुलाया गया था। इसकी समाप्ति पर यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। कारण है कि 24 देशों ने इसके पक्ष में वोट डाला। जबकि नौ ने इसका विरोध किया। 

चीन और रूस ने पक्ष में किया मतदान 

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने समूह के 13 अन्य सदस्य राष्ट्रों के साथ मतदान से खुद को अलग रखा। चीन और रूस ने इसके पक्ष में मतदान किया। संयुक्त राष्ट्र निकाय ने एक बयान में कहा, 'मानवाधिकार परिषद ने पूर्वी यरुशलम समेत कब्जा किए गए फलस्तीनी क्षेत्र और इजरायल में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के प्रति सम्मान सुनिश्चित करने पर आज दोपहर एक प्रस्ताव स्वीकार किया।' परिषद का विशेष सत्र पूर्वी यरुशलम समेत फलस्तीनी क्षेत्र में 'गंभीर मानवाधिकार स्थिति' पर चर्चा के लिए बुलाया गया था। 

भारत का क्‍या है पक्ष? 

जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्र मणि पांडे ने विशेष सत्र में कहा कि भारत गाजा में इजरायल और सशस्त्र समूह के बीच संघर्ष विराम में सहयोग देने वाले क्षेत्रीय देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कूटनीतिक प्रयासों का स्वागत करता है। उन्होंने कहा, 'भारत सभी पक्षों से अत्यधिक संयम बरतने और उन कदमों से गुरेज करने की अपील करता है जो तनाव बढ़ाते हों। साथ ही ऐसे प्रयासों से परहेज करने को कहता है जो पूर्वी यरुशलम और उसके आस-पड़ोस के इलाकों में मौजूदा यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के लिए हों।' पांडे ने एक बयान में यरुशलम में जारी हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की खासकर हरम अल शरीफ और अन्य फलस्तीनी क्षेत्रों में। इजरायल और हमास दोनों ने संघर्षविराम पर सहमति जताई जो 11 दिनों की भीषण लड़ाई के बाद पिछले शुक्रवार से प्रभावी हुआ। पांडे ने कहा कि भारत इस बात से पूरी तरह सहमत है कि क्षेत्र में उत्पन्न स्थितियों और वहां के लोगों की समस्याओं के प्रभावी समाधान के लिए वार्ता ही एकमात्र विकल्प है।



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