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ब्लैक, येलो और वाइट...आखिर क्यों और कैसे रंग बदल रहा फंगस, पता लगाएंगे डॉक्टर

मुंबई कोरोना साथ-साथ अब म्यूकोरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस की समस्या भी चुनौती बन गई है। इस फंगस के मिल रहे नए-नए रंग हैरान कर रहे हैं। बीएमसी इससे निपटने की तैयारी में जुट गई है। इस बीमारी से निपटने के लिए बनी डॉक्टरों की टीम नए रंगों की पहचान करेगी। इस समय 150 से अधिक ब्लैक फंगस के मरीज बीएमसी के प्रमुख अस्पतालों में भर्ती हैं। पिछले कुछ दिनों से यूपी, हरियाणा व अन्य राज्य के शहरों में ब्लैक फंगस के अलावा वाइट और येलो फंगस से संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। इस रंगों के फेर में अब बीएमसी भी उलझती हुई दिखाई दे रही है। इससे निपटने के लिए सोमवार को इस पर बीएमसी अस्पतालों के डॉक्टरों का मंथन भी हुआ। 

मुंबई में भी येलो और वाइट फंगस के मरीज हैं क्या? 

बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने बताया कि सोमवार को इस नए रंगों को लेकर डॉक्टरों से इस पर चर्चा भी की गई। काकानी ने बताया कि म्यूकोरमायकोसिस से निपटने के लिए बनी डॉक्टरों की विशेष टीम को फंगस के रंगों को लेकर मरीजों की बारीकी से जांच करने का निर्देश दिया गया है। डॉक्टरों को यह पता लगाने के लिए कहा गया है कि मुंबई में भी वाइट, येलो फंगस के मरीज हैं क्या?

क्या कहते हैं विशेषज्ञ 

कूपर अस्पताल के ईएनटी विभाग के प्रमुख डॉ. निनाद गायकवाड़ ने बताया कि म्यूकोरमायकोसिस के शुरुआती स्टेज में शरीर में वाइट टिश्यू रहते हैं। इसके बाद इनका रंग बदलता है। आखिरी स्टेज में इसका रंग ब्लैक हो जाता है। फिलहाल कूपर में ब्लैक फंगस के 17 मरीज भर्ती हैं। उनका इलाज एम्फोटेरोसिन इंजेक्शन और सर्जरी है। कुछ मरीजों की सर्जरी किए जाने की बात उन्होंने कही। 

डॉक्टर से करें तुरंत संपर्क 

डॉ. निनाद ने कहा कि बार-बार सर्दी होना, सिरदर्द, चेहरे पर सूजन जैसे लक्षण दिखे तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें और सलाह लें। शुरुआती इलाज से मरीज जल्द ठीक हो जाता है। इससे बचने के लिए डबल मास्क पहनें, बार- बार नाक को हाथ न लगाएं, डायबिटीज कंट्रोल में रखें। 


येलो फंगस के लक्षण 

येलो फंगस ज्यादा खतरनाक है, यह घाव को भरने नहीं देता। इस बीमारी को म्यूकर स्पेक्टिक्स कहा जाता है। शरीर के अंगों का सुन्न होना, ऐंठन और दर्द रहना, अत्यधिक कमजोरी, नाक का बंद होना, हार्ट बीट बढ़ना शरीर में घावों से मवाद बहना और शरीर कुपोषित सा दिखने लगना इस बीमारी के लक्षण हैं। 

नवी मुंबई में 29 मरीजों का उपचार शुरू 

ब्लैक फंगस के मरीजों का उपचार करने की मुफ्त में व्यवस्था मनपा के वाशी अस्पताल में की गई है। इस बीमारी से अब तक 14 लोग संक्रमित पाए गए हैं, जबकि 15 लोग शहर के बाहर से आकर यहां पर उपचार करा रहे हैं। नवी मुंबई मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर के अनुसार, सोशल मीडिया पर मनपा के क्षेत्र में ब्लैक फंगस के 29 मरीज होने की बात कही जा रही थी। नवी मुंबई मनपा क्षेत्र में ब्लैक फंगस का उपचार कराने के लिए देश व राज्य के अन्य शहरों से मरीज आ रहे हैं। नवी मुंबई मनपा के टास्क फोर्स द्वारा ब्लैक फंगस के लक्षण को जानने के लिए प्रश्न तैयार किए गए हैं। यह प्रश्न कोरोना से ठीक हुए उन लोगों से पूछे जाते हैं, जो मधुमेह या अन्य मल्टीपल बीमारी से ग्रस्त हैं। मनपा के द्वारा अब तक ऐसे 650 लोगों की अलग-अलग सूची तैयार की गई है। 

कॉल सेंटर दे रहा है जानकारी 

नवी मुंबई मनपा के टास्क फोर्स द्वारा जिन मरीजों की सूची तैयार की जा रही हैं, उन मरीजों को मनपा के कॉल सेंटर से कॉल करके हर दिन उनके स्वास्थ्य व ब्लैक फंगस के लक्षण के बारे में पूछा जा रहा है। किसी व्यक्ति में इसके लक्षण होने के संकेत मिलने पर उसे मनपा अस्पताल में बने ओपीडी में जांच के लिए भेजने व उसके उपचार की तैयारी मनपा की वाशी, नेरुल व ऐरोली की अस्पताल में की गई है। 

69 लोगों में नहीं मिले लक्षण 

नवी मुंबई मनपा की तरफ से 69 लोगों की ब्लैक फंगस के लक्षण का संदेह होने पर जांच की गई, लेकिन इन मरीजों में किसी भी तरह के लक्षण नहीं मिले हैं। इसके बावजूद इन पर मनपा नजर बनाए है।



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