कोरोना से ऐसे बचाएं गांवों को, सीखें महाराष्ट्र के इस एक छोटे से गांव से
दूसरों के लिए बने मिसाल
कोरोना वायरस को रोकने के पोपटराव के तरीके की राज्य में चर्चा हो रही है। दूसरे गांव भी उनसे सीख सकें, इसकी व्यवस्था कराई जा रही है। इसीलिए अहमदनगर जिले के कलेक्टर और स्पेशल एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (एसईओ) ने उन्हें 1,300 गांवों के प्रधानों को संबोधित करने और उनकी मदद करने का न्यौता दिया ताकि वे सब पोपटराव के तरीके को अपनाकर अपने-अपने गांव को महामारी से मुक्त कर सकें। पवार ने हिवरे बाजार में यह कमाल कैसे किया? इस बारे में वह बताते हैं, ‘मार्च में गांव के एक व्यक्ति में कोविड के लक्षण दिखे तो उन्हें तुरंत पास के ट्रेनिंग स्कूल में क्वारंटीन किया गया। उनके संपर्क में उस दौरान जितने भी लोग आए थे, उन्हें भी अलग कर दिया गया। इन सभी का आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया गया। जब तक कि उसके रिजल्ट आते, हमने रैपिड एंटीजेन टेस्ट कराया ताकि उनके बीमार होने या न होने का पता लगाया जा सके।’
यह पहली बार नहीं है, जब पवार ने गांव के फायदे के लिए दूरदर्शिता दिखाई है। हिवरे बाजार सूखा प्रभावित इलाका था, जिसे जल संरक्षण और खेती के तौर तरीकों में बदलाव करके उन्होंने हरा-भरा बना दिया। खैर, महामारी के विषय पर लौटते हुए पवार ने गर्व से बताया, ‘मार्च से अप्रैल के बीच एक समय गांव में कोविड के 52 मरीज हो गए थे। उनका टेस्ट कराने के बाद एक डॉक्टर की मदद से हमने तुरंत इलाज शुरू कर दिया। उनमें से चार को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। बदकिस्मती से इनमें से एक की जान चली गई, लेकिन अच्छी बात यह है कि आज पूरा गांव कोविड से मुक्त है।’
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