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हिल स्टेशन पचमढ़ी में 'लुटेरे' बंदरों का आतंक, पकड़ने के लिए मथुरा से बुलाए गए स्पेशलिस्ट

होशंगाबाद एमपी में हिल स्टेशन पचमढ़ी की पहचान मिनी कश्मीर के रूप में है। यहां सैलानियों की भीड़ हमेशा उमड़ती है। जंगली इलाका होने की वजह से सैलानियों को यहां बंदरों की वजह से काफी दिक्कत होती है। बंदर सैलानियों से खाने-पीने के सामान लूट लेते हैं। यहां फिर उनके बैग तक छिन लेते हैं। इन बंदरों को पचमढ़ी से पकड़कर जंगल में छोड़ने के लिए मथुरा से स्पेशलिस्ट बुलाए गए हैं। अब तक छह सौ बंदरों को यहां से पकड़कर जंगल में छोड़ दिया गया है। केंट सीईओ अखिल दास ने बताया कि पचमढ़ी में बंदरों की संख्या अधिक है। टूरिस्ट स्पॉट हो या खानपान की दुकान, बंदरों ने लोगो को परेशान कर दिया है। हालत यह हो गई है कि पचमढ़ी के रहवासियों के घरों में से बंदर समान निकालकर ले जाते हैं। बंदरों की संख्या कम करने के लिए हमने वाइल्ड लाइफ से अनुमति ली है। मथुरा से आए लोगों को प्रति बंदर 245 रुपये दिए जा रहे हैं। एक्सपर्ट की टीम ने अभी तक लगभग 600 बंदरों को पकड़कर जंगल में छोड़ दिया है। सैलानी हो गए थे परेशान हिल स्टेशन पर सैलानियों की संख्या अधिक होने के कारण यहां बंदरों को खाने पीने की चीजें मिल जाती थीं। इस कारण बंदरों में छीना झपटी की आदत बन गई। हाल यह हो गए कि स्प्सर विहार, बोट क्लब, पार्क, पांडव गुफा आदि इलाकों में बंदर टूरिस्ट के हाथ में से सामान लेकर भाग जाते हैं। तीन हजार एकड़ में फैला है केंट हिल स्टेशन पचमढ़ी का छावनी परिषद लगभग तीन हजार एकड़ में फैला है। यहां फॉरेस्ट और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का एरिया भी है। इसलिए टूरिस्ट कि संख्या अधिक रहती है। कोरोना संक्रमण में जनता कर्फ्यू लगने से पचमढ़ी में टूरिस्ट को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।


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