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हाई कोर्ट ने सरकार को भेजा नोटिस:सहकर्मी से विवाद में कोर्ट उठने तक की सजा मिली तो विभाग ने किया बर्खास्त


लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के दो कर्मचारियों के बीच आपसी विवाद हुआ। दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने एक कर्मचारी के खिलाफ चालान पेश किया तो कोर्ट ने कर्मचारी को कोर्ट उठने तक की सजा सुनाई। कुछ घंटों की सजा को विभाग ने इतना गंभीरता से लिया कि कर्मचारी को बर्खास्त ही कर दिया। कर्मचारी ने इस पर हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है।

विभाग में वायरमैन के पद पर रहे रामेंद्र अग्निहोत्री को विगत मार्च में बर्खास्त किया गया है। एक कर्मचारी से निजी विवाद होने पर बात एफआईआर तक पहुंच गई थी। अग्निहोत्री ने अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के जरिए बर्खास्तगी को चुनौती दी है। याचिका में उल्लेख किया है कि आपसी विवाद में शासन को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ था। न ही सर्विस रूल्स या कदाचरण के विपरीत कोई काम हुआ था। शासकीय कर्मचारियों का रोजमर्रा के जीवन में भी किसी न किसी से विवाद होता है।

केस भी दर्ज होते हैं, लेकिन इस तरह बर्खास्त नहीं किया जाता। खुद सुप्रीम कोर्ट भी कह चुकी है। निजी विवाद में कर्मचारी पर इतनी बड़ी कार्रवाई नहीं की जा सकती। शासकीय काम में बाधा, शासन को नुकसान, कदाचरण के विपरीत काम न हुआ हो तो छोटी-मोटी सजा देकर छोड़ा जा सकता है। कर्मचारी की उम्र 60 वर्ष हो गई है। सीधे बर्खास्त करने से पेंशन भी नहीं मिलेगी और वेतन भी जारी नहीं होगा।