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ऐक्टिव केस घटे, पर बढ़ रहीं मौतें, जानिए क्यों कोरोना के इस ट्रेंड से घबराना नहीं है

नई दिल्‍ली पिछले 24 घंटों में देशभर से कोविड-19 के 2,63,533 नए मामले सामने आए हैं। यह लगातार दूसरा दिन है जब नए केसेज का आंकड़ा 3 लाख से नीचे रहा। ऐक्टिव केसेज में भी डेढ़ लाख से ज्‍यादा की कमी आई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत में कोरोना के 33,53,765 ऐक्टिव केस हैं। मगर चिंता की बात यह है नहीं घट रही। पिछले 24 घंटों में 4,329 मरीजों की मौत हुई है जो एक दिन में सबसे ज्‍यादा मौतों का आंकड़ा है। देश में कोरोना से अबतक 2,78,719 लोग मारे जा चुके हैं। यह ट्रेंड नैशनल लेवल के अलावा दिल्‍ली, बिहार, उत्‍तराखंड समेत कई राज्‍यों में देखने को मिल रहा है। एक्‍सपर्ट्स के अनुसार, अगले दो से तीन हफ्ते में मौतें भी कम होने की पूरी संभावना है। आंकड़ों से समझ‍िए, क्‍या है ट्रेंड
तारीख ऐक्टिव केस मौतें
14 मई 37,04,893 4,000
15 मई 36,73,802 3,890
16 मई 36,18,458 4,077
17 मई 35,16,997 4,106
18 मई 33,53,765 4,329
दिल्‍ली हो या बिहार, कई राज्‍यों में यही ट्रेंड राजधानी में 13 मई को कोविड-19 से 308 मरीजों की मौत हुई। 14 मई को 289, 15 मई को 337, 16 मई को 262 और 17 मई को 340 मौतें हुईं। वहीं, ऐक्टिव केसेज के आंकड़े देखें तो 13 मई को 77,717 मामले थे जो 17 मई आते-आते 56,049 हो गए। बिहार में कोविड की संक्रमण दर 5% से नीचे आ गई है मगर मृतकों की संख्‍या नहीं घट रही है। सोमवार को 96 मरीजों की मौत हुई तो रविवार को 89 मौतें दर्ज हुई थीं। तमिलनाडु में 17 मई को 335 मौतें हुई जबकि एक दिन पहले 311 लोग मारे गए थे। 15 मई को 303 लोगों की मौत हुई, 14 मई को 288 और 13 मई को 297 मौतें हुईं। 'इन्‍फेक्‍शन और मौत में करीब 15 दिन का अंतर'कोविड-19 से मौतों पर एक्‍सपर्ट का मानना है कि संक्रमण के करीब दो-तीन हफ्ते बाद मौत होती है। चूंकि नए केसेज घटे हैं, ऐसे में मौतों की संख्‍या पर उनका असर दो-तीन हफ्ते में दिखेगा। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के प्रेजिडेंट डॉक्टर अरुण गुप्ता के अनुसार, संक्रमण और मौत में लगभग 15 दिन का अंतर होता है। जब कोई संक्रमित होता है या उनमें संक्रमण की पुष्टि होती है तो पहले ही दिन लोग बीमार नहीं होते हैं। 'ICU वाले मरीज कम नहीं हुए'मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की कम्युनिटी मेडिसिन की प्रोफेसर नंदिनी शर्मा ने कहा कि दो से तीन हफ्ते बाद मौतें कम होगी। उन्होंने कहा कि नए मरीज कम हुए हैं, लेकिन आईसीयू वाले मरीज कम नहीं हुए हैं। जो लोग पहले संक्रमित हुए थे, वे अभी एडमिट होंगे, उनमें से कुछ आईसीयू में होंगे और कुछ वेंटिलेटर पर। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आज भी आईसीयू बेड्स खाली नहीं हैं। डॉक्टर नंदिनी ने कहा कि इस पीक के बीच राहत की बात है कि दिल्ली में संक्रमण दर और नए मरीज कम हो रहे हैं। संक्रमण रेट 5 पर्सेंट पर आ जाए और यह कम-से-कम एक हफ्ते तक टीका रहे तो इस पीक से बाहर निकल सकते हैं।


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